धरमिंदर कुमार, नई दिल्ली
आयुर्वेदिक उत्पादों से लेकर एफएमसीजी सेक्टर तक में धाक जमाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में खौफ पैदा कर देने वाले योग गुरु बाबा रामदेव ने एक नए क्षेत्र में कारोबार का आगाज किया है। अब बाबा रामदेव प्राइवेट सिक्यॉरिटी सेक्टर में भी उतर चुके हैं। बाबा रामदेव ने देश की 40,000 करोड़ रुपये की प्राइवेट सिक्यॉरिटी इंडस्ट्री में कदम रखकर संकेत दे दिया है कि वो बिल्कुल अलग तरह के कारोबार में ताल ठोंकने से भी नहीं हिचकने वाले और उनका ट्रैक रिकॉर्ड तो यही बताता है कि वो दिग्गजों को धूल चटाने का माद्दा रखते हैं।
पिछले 10 सालों में पतंजलि आयुर्वेद एक छोटी सी आयुर्वेदिक फार्मेसी से एक विशालकाय एफएमसीजी सेक्टर में तब्दील हो चुका है। अगर रामदेव की नई कंपनी पराक्रम सुरक्षा प्राइवेट लि. सफल होती है तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कल को वह टेलिकॉम सेक्टर में भी कदम रख दें। कल्पना कीजिए, कैसा रहेगा जब पतंजलि के स्मार्टफोन में योग के विडियोज, हेल्थ टिप्स और आयुर्वेदिक इलाज के नुस्खे भी साथ मिलें।
पतंजलि के लिए अपार संभावनाएं हैं क्योंकि पांच साल पहले तक सिर्फ आयुर्वेदिक दवाइयां बेचने वाली कंपनी सबसे बड़ा देसी ब्रैंड बन चुकी है जो अपने आप में असाधारण है। ग्लोबल रिसर्च फर्म इप्सोस के हालिया सर्वे में पतंजलि को भारत के टॉप 10 प्रभावी ब्रैंड्स में चौथा स्थान हासिल हुआ है। पतंजलि के ऊपर गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियां ही हैं। कितनी बड़ी बात है कि पतंजलि ने रैकिंग में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई, सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी एयरटेल और अब तहलका मचा रहे रिलायंस जियो के साथ-साथ ई-रिटेलर फ्लिपकार्ट को भी पटखनी दे दी।बाबा रामदेव की तीक्ष्ण कारोबारी बुद्धि और बड़ी तादाद में उनके अनुयायी देश के कारोबारी घरानों के लिए बड़ी चुनौती हैं। दरअसल, योग युरु, आयुर्वेद के प्रवर्तक, धार्मिक गुरु, देश के नागरिकों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने वाली बड़ी और खासकर बुहराष्ट्रीय कंपनियों से लोहा लेने वाले एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले की विभिन्न छवियों ने बाबा रामदेव के लिए संपूर्ण निष्ठावान ग्राहकों की पूरी फौज खड़ी कर दी है। ब्रैंड रामदेव के साथ परंपरा, स्वास्थ्य, आध्यात्म, न्याय एवं देशभक्ति के धागे में बंधकर बड़ी संख्या में भरोसेमंद ग्राहक खिंचे चले आते हैं। उनकी पिछड़ी जाति की पृष्ठभूमि से पिछड़े वर्ग में उनकी व्यापक स्वीकार्यता मिली हुई है, खासकर हिंदीभाषी प्रदेशों में
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समाजवादी विचारधारा की जड़ों वाले भारत में आम लोगों के बीच बड़े कारोबारी घरानों को लेकर अविश्वास की गहरी भावना रही है। खासकर, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रति लोग काफी सशंकित रहते हैं। महात्मा गांधी ने पूंजीवाद के विकल्प के तौर पर ग्राम स्वराज पर आधारित अर्थव्यवस्था का प्रतिपादन किया था। उनके बाद बाबा रामदेव ने भी स्वदेशी का प्रासंगिक विकल्प दिया है जो विश्वसनीय है और जिसे हाथों-हाथ लिया भी जा रहा है। यह है रामदेव की कंपनी पतंजलि, जिसका मकसद मुनाफा कमाना नहीं है और जिसके लिए राष्ट्रवाद, परंपरा, आमजन के स्वास्थ्य और आध्यात्म को प्रेरक तत्व हैं।
इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है कि बाबा रामदेव अगर अलग-अलग क्षेत्रों में व्यापार का विस्तार करते रहे तो दक्षिणपंथी राजनीति की ओर उनका झुकाव एवं उनकी कारोबारी दक्षता देश की प्रतिस्पर्धी कंपनियों पर बहुत भारी पड़ेगी। राजनीति और व्यापार का घालमेल आज की दुनिया का दस्तूर है। पश्चिमी देशों में शिल्प उत्पादों को मिल रही तरजीह इस बात का सटीक उदाहरण है कि किस तरह ग्राहक अपनी राजनीतिक सोच के अनुकूल ही खरीदारी भी करते हैं। उदारवादी राजनीति ने पश्चिम में बियर से लेकर होम अक्सेसरीज तक के हस्तनिर्मित, पारंपरिक और शिल्प उत्पादों को बड़ा व्यवसाय बना दिया है।
रामदेव ने प्राइवेट सिक्यॉरिटी को अपना अगला ठिकाना इसलिए नहीं बनाया कि यह मौजूदा दौर का तेजी से बढ़ता बिजनस है, बल्कि यह राष्ट्रवादी भावना का भी प्रसार करता है। उन्होंने उद्घाटन के वक्त भी इस कंपनी के पीछे की राष्ट्रवादी भावना का इजहार करने से परहेज नहीं किया। योग गुरु की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ‘कंपनी का मकसद युवाओं में राष्ट्रवादी भावना का संचार करना और प्रशिक्षण प्राप्त करनेवालों में शारीरिक एवं मानसिक विकास के अनुकूल माहौल तैयार करना है।’ बाबा रामदेव के लिए सुरक्षा क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी के ऐलान करने का इससे अच्छा वक्त क्या हो सकता है, जब देश के मीडिया में आतंकवाद और चीन-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की हरकतों पर रोज चर्चा हो रही हो।
बाबा रामदेव की एजेंसी में प्रशिक्षित ये सिक्यॉरिटी गार्ड जब देशभर में फैलेंगे तो निश्चित तौर पर ये उनके ब्रैंड ऐंबैसडर की भूमिका निभाएंगे। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि रामदेव देश में चल रही राष्ट्रवादी लहर की सवारी कर अगले टाटा या अंबानी बनने जा रहे हैं। वह दूसरे धर्म गुरुओं को भी गोवंश आधारित पूंजीवाद का मार्ग दिखाएंगे जहां ग्राहकों को परंपरा, आध्यात्म और देशभक्ति में गुंथे उत्पाद पेश किए जाएंगे।