ये बात तब की है जब विनोद खन्ना ने अपने पिता को अपने एक्टर बनने के सपने के बारे में बताया। विनोद खन्ना की ये बात सुनकर उनके पिता भड़क गए क्योंकि वो चाहते थे कि उनकी तरह ही और उन पर बंदूक तानते हुए बोले, ‘अगर तुम फिल्मों में गए तो तुम्हें गोली मार दूंगा।’बाद में विनोद खन्ना की माँ के समझाने के बाद उन्हें दो साल तक फिल्मों में काम करने की इजाजत दी।
विनोद खन्ना एक इंजीनियर बनना चाहते थे। उनके पिता उन्हें बिजनेसमैन बनाना चाहते थे। जबकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। विनोद अभिनेता बने, फिर सन्यासी बने, फिर अभिनेता बने और अब नेता हैं।
कॉलेज की दोस्त से की शादी
कॉलेज के दिनों में विनोद खन्ना काफी हैंडसम दिखते थे। कॉलेज के दिनों से उनका रुझान फिल्मों की ओर हो गया था। वे थियेटर करते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात गीतांजली से हुई, जिससे आगे चलकर उन्होंने शादी की।
किस्मत से विनोद खन्ना की मुलाकात एक पार्टी में निर्माता और निर्देशक सुनील दत्त से हुई। सुनील दत्त उन दिनों फिल्म ‘मन का मीत’ के लिए एक नए चेहरे की तलाश कर रहे थे। सुनील दत्त ने उन्हें विलेन का रोल ऑफर किया। जिसे विनोद खन्ना ने स्वीकार कर लिया। उनकी पहली फिल्म ‘मन का मीत’ 1968 में रिलीज़ हुई थी। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी। उनकी एक्टिंग को काफी सराहा गया। इसके बाद वे कई फिल्मो में बतौर विलेन ही काम करने लगे।
विनोद खन्ना ने अपने करियर के शुरूआती दिनों में विलेन के रोल निभाए लेकिन लेकिन वे दिखने में काफी हैंडसम थे। इसके बाद उन्हें गुलजार ने हीरो का रोल ऑफर किया। इसके बाद उनका करियर हीरो के रूप में चल पड़ा। वे एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में देने लगे।