प्राचीन भारत में सेक्स के प्रति लोगों के विचार आज से अधिक खुले हुए थे। सेक्स को लेकर ये झिझक और शर्म भारत में कुछ सदियों पहले ही शुरू हुईं हैं। किन्तु सेक्स को लेकर ख्यालात हमेशा से ऐसे नहीं थे। प्राचीन भारत में यौन संबंधों पर खुलकर बात होती थी। यही कारण था कि सेक्स के सब्जेक्ट पर पहला ग्रंथ ‘कामसूत्र’ भारत में दूसरी सदी में ही लिख दिया गया था। लेकिन सेक्स के प्रति अनुशानसन भी कड़ा हुआ करता था, क्योंकि सेक्स ना सिर्फ शारीरिक बल्कि, मानसिक सुख से भी जुड़ा होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही 5 नियम।
1- यदि महिला के पीरियड आरंभ होने के पहले 4 दिन में कोई पुरुष सेक्स करता है तो वो किसी न किसी रोग का शिकार हो सकता है। प्राचीन नियमों के मुताबिक, पीरियड में सेक्स नहीं करना चाहिए। पांचवें, छठें, बारहवें, चौदहवें और सोलहवें दिन में सेक्स करना अच्छा माना गया है।
2- बह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक, दिन के वक़्त और सुबह- शाम पूजा के वक़्त किसी स्त्री और पुरुष का मिलन नहीं होना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि ग्रहण, सूर्योदय, सूर्यास्त, निधन, श्रावस मास, नक्षत्र, दिवाकाल, भद्रा, श्राद्ध, अमावस्या में भी सेक्स न किया जाए। इसे पुण्यों का विनाश करने वाला कर्म भी माना गाया है।
3- प्राचीन दौर में किसी भी पुरुष और महिला को अपने पति या पत्नी के अलावा किसी अन्य के साथ सेक्स करने पर प्रतिबंध था। इसे अनैतिक काम समझा जाता था। ये भी बताया गया है कि इन नियमों का उल्लघंन करने वाले पूरे जीवन पछताते हैं।
4- गर्भवती महिला को गर्भकाल यानि कि गर्भावस्था में सेक्स नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से संतान अपंग पैदा होने का खतरा रहता है।
5- पवित्र वृक्षों, श्मशान घाट, पवित्र स्थल, गुरुकुल, अस्पताल जैसी जगहों पर सेक्स करने की मनाही है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो जीवन भर भयंकर रोगों से जूझना पड़ता है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal