प्रदेश में सरकारी या दान की जमीन पर बने ऐसे मंदिर जो सार्वजनिक घोषित हैं, उनका प्रबंधन राज्य सरकार अपने हाथों में लेगी। इसके लिए कानून का प्रारूप तैयार किया गया है, जो विधानसभा के बजट सत्र में पटल पर रखा जाएगा।
प्रदेश में ऐसे 25 हजार से ज्यादा मंदिर होने का अनुमान है। इनमें से 21 हजार की सूची तैयार कर ली गई है। इसका प्रारूप वरिष्ठ सदस्य सचिव समिति को भेजा जा रहा है। संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस प्रारूप पर अभी काम चल रहा है।
योग्य पुजारी, व्यवस्थाओं में सुधार
प्रबंधन: फिलहाल प्रबंधन व व्यवस्था में बदलाव नहीं होगा। संचालन के लिए हर मंदिर की अलग समिति होगी, जिसका प्रबंधन कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार संभालेंगे। इसमें स्थानीय लोग भी होंगे।
पुजारी: जो पुजारी अभी काम कर रहे हैं, वे करते रहेंगे। हां कर्मकांड के क्षेत्र में उनकी योग्यता का परीक्षण किया जाएगा। अयोग्य पुजारी होने पर नई नियुक्ति होगी। स्थानीय निकाय पुजारी नियुक्त कर सकेंगे। गांव में यह अधिकार ग्रामसभा को होगा।
संपत्ति: सरकार मंदिर की संपत्ति पर अधिकार नहीं जमाएगी। हालांकि मंदिर और उसकी संपत्ति का पूरा ब्योरा एक्जाई होगा।
ऐसे सुधरेगी मंदिरों की दशा
– कानून बनने के बाद मंदिरों की जमीन सुरक्षित हो जाएगी। इसे लेकर होने वाले झगड़े भी रुकेंगे।
– वैदिक रीति-नीति जानने वाले पुजारी नियुक्त होंगे।
-दान में आने वाली राशि का लेखा-जोखा रखा जाएगा। इससे मंदिरों में विकास कार्य होंगे।
कलेक्टर कर रहे मंदिरों का चयन
जिलों में मंदिरों का चयन कलेक्टर करेंगे। सूत्र बताते हैं कि 40 कलेक्टरों ने काम पूरा कर लिया है। अभी मंदिरों का आंकड़ा 21 हजार के पार पहुंच गया है।
ओरछा और ओंकारेश्वर को लेकर विधेयक
सरकार ओरछा के रामराजा मंदिर और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के संचालन को लेकर भी विधेयक ला रही है। इनका प्रबंधन उज्जैन के महाकाल, मैहर के शारदा माता मंदिर की तरह होगा। वहीं महाकाल, श्ाारदा माता मंदिर और इंदौर के खजराना मंदिर के संचालन के लिए पहले से बने कानून में संशोधन होगा। इसमें तहसीलदारों के अधिकार बढ़ाए जा रहे हैं।
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