पाकिस्तान हुकूमत ने मंगलवार को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है। आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर ने मीडिया को बताया कि इस्लामाबाद ने संयुक्त समूह के समक्ष अपनी अपनी रिपेार्ट सौंप दिया है। पाकिस्तानी सरकार को उम्मीद है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ एक और छूट दे सकता है। इसकी समीक्षा बैठक जून, 2020 तक हो सकती है। बता दें कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर वह फरवरी, 2020 तक सुधार के सख्त कदम नहीं उठाता तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है।
जनवरी, 2020 की शुरुआत में सिडनी में आमने-सामने होगी बैठक
अजहर ने बताया कि जनवरी, 2020 की शुरुआत में आस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में एफएटीएफ के साथ आमने-सामने की बैठक होने की उम्मीद है। इसमें पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को इस रिपोर्ट के अाधार पर बचाव करने का मौका दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एफएटीएफ की पूर्ण समीक्षा बैठक फरवरी 2020 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में होगी। इस बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि एफएटीएफ के टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के 27 मानकों में से 22 पर पाकिस्तान खरा नहीं उतर पाया है। इसके बाद ही एफएटीएफ ने कहा कि अगर पाकिस्तान फरवरी, 2020 तक एक्शन प्लान पूरा नहीं करता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है।
क्या है एफएटीएफ
एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है, जो 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग को रोकने समेत अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है। 36 देशों वाले एफएटीएफ चार्टर के मुताबिक किसी भी देश को ब्लैक लिस्ट नहीं करने के लिए कम से कम तीन देशों के समर्थन की आवश्यकता होती है। पाकिस्तान फिलहाल ग्रे लिस्ट यानी वॉच लिस्ट में है। वह इससे बाहर आने की जुगत में लगा है। एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई पूरी करने के लिए पाकिस्तान को अक्टूबर तक का समय दिया था। इससे पहले चीन, तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान के जरिए उठाए गए कदमों की सराहना की थी। वहीं, भारत ने ब्लैक लिस्ट करने की सिफारिश की थी। भारत का कहना था कि इसने हाफिज सईद को अपने फ्रीज खातों से धन निकालने की अनुमति दी है।
काली सूची में शामिल होने का मतलब
एफएटीएफ की तरफ से काली सूची में शामिल होने का मतलब होगा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और बदहाल हो जाएगी। इसका उल्टा असर भी पड़ सकता है और आतंकी संगठनों की जड़ें भी मजबूत हो सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका समेत कुछ देशों ने काली सूची में जाने से पाकिस्तान में बढ़ने वाली अस्थिरता को लेकर भारत से भी बात की है। भारत को यह बताया गया है कि उसके हितों के लिए भी यह अच्छा है कि पाकिस्तान भयंकर आर्थिक संकट में घिरने के बजाये आतंकी संगठनों का सफाया करे। ऐसे में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखते हुए उसे एक वर्ष का और वक्त देने की संभावना ज्यादा है ताकि वह आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाइ कर सके।