ऐलोवेरा का उपयोग आमतौर पर लोग चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए करते हैं. बहुत कम लोगों को पता होगा कि गूदे से भरा यह सामान्य सा दिखने वाला पौधा अपने अंदर कई औषधीय गुण समेटे हुए है. डायबिटीज अर्थात मधुमेह के रोगियों के लिए भी ऐलोवेरा किसी वरदान से कम नहीं है. आइए जानते हैं ऐलोवेरा के वो नुस्खे जो मधुमेह से पीड़ित लोगों को जरूर आजमाने चाहिए.डायबिटीज के रोगियों के लिए ‘वरदान’ से कम नहीं है ऐलोवेरा
ऐलोवेरा की तरह ही आंवले में भी बहुत औषधीय गुण होते हैं. ताजे आंवले का रस 4 चम्मच और ताजा ऐलोवेरा का गूदा 10 ग्राम खाली पेट सेवन करने से मधुमेह की बीमारी में काफी आराम मिलता है.
डायबिटीज के रोगियों के लिए ‘वरदान’ से कम नहीं है ऐलोवेरा
करेले के सेवन की सलाह मधुमेह पीड़ितों को दी जाती है. अगर करेले का रस 2 चम्मच और एलोवेरा का गूदा 10 ग्राम मिलाकर सुबह-शाम भोजन से पहले लें तो मधुमेह में बढ़ी हुई शुगर की मात्रा कम हो जाती है.
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नीम के औषधीय गुणों से तो हम सभी वाकिफ हैं. अगर नीम के 10 नए मुलायम पत्ते और एलोवेरा का गूदा 20 ग्राम सुबह-सुबह खाली पेट सेवन करें तो ना केवल पेट साफ रहेगा बल्कि शुगर भी कंट्रोल रहेगी.
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साबुत जामुन तो सेहत के लिए लाभदायक होती ही है. जामुन की गुठली भी बड़े काम की होती है. अगर जामुन की गुठली 10 ग्राम, गुड़ 10 ग्राम और सोंठ 5 ग्राम तीनों को बारीक चूर्ण के रूप में लेकर ऐलोवेरा के रस में अच्छी तरह मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाएं. फिर इसकी चने के समान गोलियां बनाकर दिन में 3 बार 1-1 गोली खाएं तो शुगर की मात्रा धीरे-धीरे कम होती जाती है.
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अगर गाय का कच्चा दूध कहीं मिल जाए तो बहुत उत्तम होता है. गाय के कच्चे दूध में ऐलोवेरा का रस मिलाकर आधा-आधा कप पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है. शुगर कंट्रोल में आ जाती है.
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बबूल की गोंद का पानी और ग्वारपाठे का गूदा मिलाकर आधा-आधा कप रोगी को पिलाया तो मधुमेह की बीमारी ठीक हो जाता है.
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लहसुन की कलियों का सेवन भी लोग मधुमेह की बीमारी में करते हैं. माना जाता है कि लहसुन की 4-5 कलियां शुद्ध घी में भूनकर ग्वारपाठे के रस के साथ लेने से मधुमेह जड़ से खत्म हो जाता है.