1. ऐसे हुई ईद उल फितर शब्द की उत्पत्ति
इस्लाम धर्म में पवित्र रमजान के पूरे महीने रोजे अर्थात् उपवास रखने के बाद ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार रमजान के अंत में मनाया जाता है। मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए यह अवसर भोज और आनंद का होता है। फितर शब्द अरबी के ‘फतर’ शब्द से बना। जिसका अर्थ होता है टूटना।
2. कोई एक निश्चित दिन तय नहीं
अन्य इस्लामी त्योहारों की तरह रमजान एक दिन विशेष पर नहीं आता है। यह इस्लामी केलेंडर का नौवां महीना होता है। इस प्रकार यह पूरा माह ही त्योहारों की तरह होता है। इबादत या प्रार्थना, भोजन और मेल-मिलाप इस त्योहार की प्रमुख विशेषता है। ईद खुशी का दिन है।
3. इसलिए पहनते हैं ईदगाह पर सफेद पोशाक
इस दिन की रस्मों में सुबह सबसे पहले नहाना, नए कपड़े पहनना,सुगंधित इत्र लगाना, ईदगाह जाने से पहले खजूर खाना आदि मुख्य है। आमतौर पर पुरुष सफेद कपड़े पहनते हैं। सफेद रंग पवित्रता और सादगी का प्रतीक है। इस पवित्र दिन पर बड़ी संख्या में मुस्लिम अनुयायी सुबह जल्दी उठकर ईदगाह, जो ईद की विशेष प्रार्थना के लिए एक बड़ा खुला मैदान होता है, में इबादत ओर नमाज अदा करने के लिए इकट्ठे होते हैं।
4. फितर यानी उपहार देना
नमाज से पहले सभी अनुयायी कुरान में लिखे अनुसार, गरीबों को अनाज की नियत मात्रा दान देने की रस्म निभाते हैं। जिसे फितर देना कहा जाता है। फितर या एक धर्मार्थ उपहार है, जो रोजा तोडने के उपलब्ध में दी जाती है।
5. मस्जिद के बाहर नमाज की विशेष व्यवस्था इसी दिन
ईदगाह पर इमाम द्वारा ईद की विशेष इबादत और दो रकत नमाज अदा करवाई जाती है। ईदगाह में नमाज की व्यवस्था इस त्योहार विशेष के लिए होती है। अन्य दिनों में नमाज मरिजदों में ही अदा की जाती है।
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