जम्मू-कश्मीर में पहली बार हो रहे जिला विकास परिषद के चुनाव में मैदानी इलाकों से ज्यादा पहाड़ी जिलों में मतदान हो रहा है। दूरदराज पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद से कड़ाके की ठंड है। यहां कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके बाद भी ज्यादातर पर्वतीय इलाकों में ज्यादा मतदान रिकॉर्ड हुआ है।
दरअसल पहाड़ी जिलों में मैदानों से ज्यादा दुश्वारियां हैं। सड़क, पानी और बिजली समेत कई मुद्दों पर प्रत्याशियों ने भी धुआंधार प्रचार किया है। भाजपा बनाम गुपकार गठबंधन के एक दूसरे पर सियासी हमलों ने भी मतदाताओं की चुनावों में दिलचस्पी को बढ़ा दिया है। जानकार इसे वोटों के ध्रुवीकरण से भी जोड़कर देख रहे हैं।
अभी तक हुए पांच चरणों में जम्मू संभाग के पुंछ जिले के मतदाता मतदान करने में सबसे आगे रहे हैं। पांचवें चरण में भी पुंछ जिला मतदान के मामले में पहले नंबर पर रहा। यहां पर करीब 72 फीसदी मतदान हुआ। चौथे चरण में यहां पर 76 फीसदी, तीसरे चरण में 73 फीसदी मतदान हुआ था। दूसरे चरण के चुनाव में भी यहां पर करीब 76 फीसदी मतदान हुआ।
राजोरी जिले में भी पांचों चरणों में मतदान का फीसद 70 फीसदी से ज्यादा रहा है। रियासी जिले में भी मतदाताओं ने ऐसा ही रुझान दिखाया है। हर चरण में 70 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। किश्तवाड़ में भी भारी मतदान हो रहा है। वहीं कश्मीर संभाग के पहाड़ी व एलओसी से सटे जिलों में कुपवाड़ा, बारामुला और बांदीपोरा में अन्य जिलों की तुलना में मतदान ज्यादा हो रहा है।
मैदानी इलाकों की बात करें तो मतदाताओं में यहां भी मतदान को लेकर उत्साह कम नहीं हैं लेकिन फीसदी के मामले में मैदानी जिले पीछे हैं। जम्मू जिले में पांचवें चरण की सीटों में 60 फीसदी मतदान हुआ। सांबा जिले में भी करीब 64 फीसदी मतदान हुआ। उधमपुर जिले में चौथे चरण में करीब 60 फीसदी मतदान हुआ था।