25 अगस्त से हर जगह गणेश उत्सव मनाया जा रहा है हर जगह इस त्यौहार की धूम है यह त्यौहार हर वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन से अगले 10 दिनों तक मनाया जाता है गली मोहल्ले चौराहे पर गणेश जी की सुन्दर सुन्दर प्रतिमाये बैठाई जाती है लोग अपने घरो में भी गणेश प्रतिमाये लाकर उसकी पूजा करते है कोई एक,कोई तीन,कोई पांच दिन या फिर दस दिनों तक गणेश भगवान की पूजा की जाती है और अंत में उनको विसर्जित कर दिया जाता है पूजा के बाद मूर्ति का विसर्जन क्यों किया जाता है आइये जानते है.
गणेश जी की मूर्ति के विसर्जन के पीछे पौराणिक कथा है वेदव्यास जी को महाभारत की रचना के लिए एक लेखक चाहिए था जिसके कारण वह गणेश जी के पास गए और उनसे महाभारत ग्रन्थ लिखने का आग्रह किया गणेश जी ने उनका आग्रह स्वीकार कर लगातार 10 दिनों तक अपनी आँखे बंद करके बिना रुके महाभारत ग्रन्थ लिखते रहे.
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बिना रुके लिखने से गणेश जी के शरीर का ताप बहुत तीव्र हो गया था जब वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर के तीव्र ताप को देखा तो उस ताप को कम करने के लिए उन्हें तालाब में स्नान कराने लगे वह दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था उसी कारण गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन होने लगा.
गणेश जी को विसर्जित करने के पहले उनकी विधि अनुसार पूजा अर्चना कर उनसे जो भी सच्चे मन से मांगो सभी मनोकामना पूरी होती है. यदि आप गणेश जी को किसी तालाब या नदी में विसर्जित करना नहीं चाहते तो उन्हें अपने घर में भी विसर्जित कर सकते है किन्तु याद रखे की गणेश जी के विसर्जन से जो मिटटी निकलती है उसे तुलसी के गमले में न डाले क्योकि गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ती है.
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