जयपुर
अब तक दाल, प्याज या सब्जियां मौसम के हिसाब से महंगी होकर आम आदमी की थाली से दूर हो जाती थीं, लेकिन इस बार महंगाई का संयोग लोगों पर भारी पड़ रहा है। आलू, टमाटर और दाल एक साथ महंगे हुए हैं और थाली दूर हो रहे हैं। राजधानी में साल भर पहले इसी मौसम में जो टमाटर 10 रुपए किलो मिल रहे थे, अब 40 रुपए को छू रहे हैं। 12 रुपए के डेढ़ किलो आलू अब 20-22 रुपए पर पहुंच गए हैं। वहीं दाल लगभग दुगुनी होकर 160 रुपए किलो में लोगों को मिल रही है।
कम समय में तैयार, फिर भी कमी
रोजाना की सब्जियों में इस्तेमाल होने वाले आलू और टमाटर का मामला थोड़ा अलग है। दोनों फसलें कम अवधि में तैयारी हो जाती हैं। लेकिन दोनों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई है। टमाटर का पौधा लगाने के 60-70 दिनों के बाद टमाटर तैयार हो जाता है जबकि आलू 75-120 दिनों में तैयार होता है। फिर भी टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं। वहीं आलू की हर साल की फसल का बड़ा हिस्सा कोल्ड स्टोरेज में चला जाता है। इसके बावजूद पुराना माल बाजार में महंगी दर पर बेचा जा रहा है।
विदेशों में खेती
दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार बड़े कदम उठाने जा रही है। सरकार ने इस साल करीब 6.5 लाख टन दाल का आयात किया है। ये अभी तक का सबसे बड़ा आयात है। इसके अलावा भारत सरकार दाल की खेती करने के लिए मोजाम्बिक में जमीन पट्टे पर लेगी।
120 फीसदी तक बढ़ी दालें
राजधानी में पिछले दो सालों में अरहर की कीमत दोगुनी हो गई है जबकि उड़द की कीमत में करीब 120 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। दालों की कीमत में बढ़ोतरी की स्थिति यह है कि इस साल चना दाल तक की कीमत में 85 फीसदी बढ़ोतरी हो गई है जिसका बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है। आमतौर पर चने के दाम पर असर नहीं पड़ता था। 40 रुपए किलो की चने की दाल भी बढ़कर 85 रुपए पर पहुंच गई। जयपुर में उड़द 160 रुपए किलो बेची जा रही है वहीं अरहर भी 100 रुपए को छू रही है।
लहसुन 150 रुपए प्रति किलो के पार
उत्पादन कम होने से इन दिनों लहसुन के भाव निरंतर उछल रहे हैं। थोक में लहसुन की कीमतें करीब दो माह में दोगुनी होकर 100 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। खेरुज में लहसुन 150 से 175 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है। दूसरी ओर पिसाई वालों की मांग घटने से हल्की क्वक्वालिटी की लालमिर्च एक से डेढ़ सप्ताह के दौरान पांच रुपए प्रति किलो टूट गई है, हालांकि बढिय़ा मिर्च के भावों में कोई उल्लेखनीय उतार चढ़ाव नहीं आया है। बद्रीप्रसाद माधोलाल के लक्ष्मीनारायण डंगायच ने बताया कि मध्य प्रदेश में इस साल मिर्च की बिजाई 25 फीसदी कम होने की खबरें मिल रही हैं।