इराक में 2014 में अगवा किए गए 39 भारतीयों के परिवारों ने सरकार पर उन्हें तीन साल तक अंधेरे में रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र के पास उनके लापता परिजनों के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं थी. परिवारों ने कहा कि संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान को सुनने के बाद इराक के मोसुल शहर में लापता हुए लोगों के बारे में कोई सुराग मिलने की उनकी उम्मीदें लगभग टूट गयीं.
इराक में लापता 39 भारतीयों के परिजन बोले, सरकार अब तक हमें गुमराह करती रही
एक लापता व्यक्ति के रिश्तेदर श्रवण ने कहा, ‘‘सरकार ने पिछले तीन साल से हमें अंधेरे में रखा. विदेश मंत्री का बयान सुनने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सरकार के पास इराक में लापता हुए लोगों के बारे में कोई ठोस सूचना नहीं हैं. वे हमारे परिवार के सदस्यों का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री कह रही हैं कि उनके पास यह तय करने के लिए ठोस सबूत नहीं हैं कि मोसुल में अगवा किए गए 39 भारतीयों को मार दिया गया. इससे हमारे लोगों का पता लगाने में सरकार की नाकामी का पता चलता है.’’ अमृतसर में रहने वाले श्रवण का 30 साल का भाई निशान युद्धग्रस्त देश में लापता हुए लोगों में शामिल है.
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एक दूसरे व्यक्ति देवेंद्र ने कहा, ‘‘सरकार अब तक हमें गुमराह करती रही. सरकार इराक में लापता हुए हमारे लोगों के बारे में हमें कोई भी सबूत मुहैया कराने में नाकाम रही.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले उन्होंने हमारे लोगों के चर्च में होने की बात कहकर हमें उम्मीद की किरण दिखायी. इसके बाद 16 जुलाई को हमें बताया गया कि वे जेल में हो सकते हैं. और फिर मीडिया ने खुलासा किया कि जेल में हफ्तों से कोई नहीं है.’’
देवेंद्र ने कहा कि अगर सुषमा कहती है कि वह बिना किसी सबूत के लापता भारतीयों को मृत घोषित करने का ‘पाप नहीं करेंगी’ तो सरकार को उनके जीवित होने का सबूत देना चाहिए. देवेंद्र का भाई गोविंद्र लापता है. देवेंद्र ने मांग की कि सरकार लापता लोगों के परिवारों को घर चलाने के लिए वित्तीय मदद दे.
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