मायावती ने भले ही राज्य सभा से इस्तीफ़ा दे दिया है लेकिन आज वे रामनाथ कोविंद का शपथग्रहण समारोह देख रही थीं और उनके अन्दर कोई कमीं दिखाने का बहाना ढूंढ रही थीं, अचानक उनकी आँखों में चमक आ गयी, उन्हें सच में रामनाथ कोविंद के खिलाफ बोलने का मौका मिल गया और उन्होंने शपथ लेने के कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एंटी-दलित और एंटी-अंबेडकर बता दिया.
मायावती ने क्यों बताया एंटी-दलित
मायावती ने कहा कि रामनाथ कोविंद ने शपथ लेने के बाद डॉ भीमराब अंबेडकर को श्रद्धांजलि नहीं दी और ना ही अपने भाषण में उनका नाम लिया, ऐसा करके उन्होंने साबित कर दिया है कि बीजेपी के लोगों की तरह वे भी अंबेडकर के विचारों के विरोधी हैं और एंटी दलित हैं.
मायावती ने कहा कि रामनाथ कोविंद को शपथ लेने के बाद बाबा अंबेडकर की प्रतिमा पर फूल चढाने चाहिए थे क्योंकि उन्हीं की वजह से उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया है. संसद परिसर में बाबा अंबेडकर की प्रतिमा भी है लेकिन उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पण ना करके उन्होंने साबित कर दिया है कि वे भी बीजेपी की तरह की अंबेडकर के विचारों के विरोधी हैं.
मायावती ने यह भी कहा कि रामनाथ कोविंद ने अपने राजनीतिक जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संकीर्ण और जातिवादी सोच का प्रतिनिधित्व किया है.
उन्होंने कहा कि हमें रामनाथ कोविंद से ऐसी उम्मीद नहीं थी, ऐसा इसलिए क्योंकि वे खुद को दलित समाज का बताते हैं, उन्हें तो हमेशा डॉ अंबेडकर का सम्मान करना चाहिए, उनके संघर्षों को याद करना चाहिए लेकिन उन्होंने डॉ अंबेडकर का नाम ना लेकर खुद को एंटी-दलित साबित कर दिया है.