केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े का धर्मनिरपेक्षता पर बनाया गया मजाक अब विवादों में हैं। और उस विवाद की वजह से संसद का आज का दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। लोकसभा में कांग्रेस के कड़े विरोध के बाद 2 बजे तक स्थगित कर दी गई है। मंगलवार को हेगड़े ने कहा था कि यदि आप धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं, तो यह संदेह पैदा होता है कि आप कौन हैं? हेगड़े ने कहा कि वह संविधान का सम्मान करते हैं, लेकिन आने वाले दिनों में इसे बदलना पड़ेगा।
पांच बार के लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर आज संसद में भारी हंगामा देखने को मिल रहा है। संसद शुरू होते ही राज्य सभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यदि किसी नेता को संविधान में विश्वास नहीं है तो उसे संसद सदस्य होने का भी कोई हक नहीं है।
कल 49 वर्षीय हेगड़े ने कहा था कि इनदिनों देश में एक नया चलन शुरू हो गया है, जिसमें लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने की कोशिश करते हैं। उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि उन्हें खुशी होती यदि लोग खुद को गर्व से कहते कि वह मुस्लिम हैं या ईसाई हैं या लिंगायत, ब्राह्मण या हिंदू हैं।
गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान पर कांग्रेस पार्टी मांफी की मांग को लेकर संसद सत्र चलने नहीं दे रही है। संसद की रणनीति को लेकर भाजपा संसदीय दल की कार्यकारी बैठक भी की थी। जिसमें राजग के नेताओं ने भाजपा की बात पर एकजुटता दिखाते हुए कहा था कि पीएम मोदी के माफी का सवाल ही नहीं उठता है।
दरअसल शीत सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में पीएम की माफी का मामला कांग्रेस पार्टी की ओर से जोर-शोर से उठाया था। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी के बयान का हवाला देते हुए संसद में हंगामा करते हुए कहा कि चुनावी सभा के दौरान मोदी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर गुजरात चुनाव के लिए पाकिस्तान नेताओं संग बैठक कर रणनीति बनाने का आरोप लगाया था।
वहीं भाजपा संसदीय दल की कार्यकारी बैठक में पीएम मोदी ने संसद में पार्टी के फ्लोर प्रबंधकों को कहा था कि वे सदन में सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित करें। अधिकांश सांसदों को सदन की कार्यवाही में बढ़-चढ़ कर भाग लेने के निर्देश दिए थे।
पीएम मोदी की नसीहत के बाद इस दफे पार्टी के फ्लोर प्रबंधक सांसदों की उपस्थिति को लेकर सख्त हैं। पिछले सत्र में ओबीसी बिल पर विपक्ष का संशोधन पारित होने से सरकार की काफी फजीहत हुई थी। उस वक्त राज्य सभा में सरकार के अपने ही कई मंत्री और सांसद सदन से नदारद थे। इसके बाद पीएम ने अनुपस्थित मंत्रियों और सांसदों को दंडित किए जाने के संकेत दिए थे।