एजेंसी/ वॉशिंगटन. न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में भारत को मिल रहे जबरदस्त समर्थन से परेशान पाकिस्तान ने अब अमेरिका से कहा है कि वह NSG में उसकी दावेदारी को भी समर्थन दे। पाकिस्तान ने अमेरिकी प्रशासन और कांग्रेस से आधिकारिक तौर पर समर्थन मांगा है।
मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस ग्रुप में भारत की एंट्री को आधिकारिक समर्थन दिया था। इस मामले पर एक ही हफ्ते में भारत ने अमेरिका के अलावा स्विट्जरलैंड और मेक्सिको से भी समर्थन हासिल किया है। इसके अलावा मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में भारत की एंट्री से भी पाकिस्तान परेशान है। MTCR में अब तक चीन को भी जगह नहीं मिल सकी है।
पाकिस्तानी राजदूत जलील अब्बास जिलानी ने यूएस सीनेट कमिटी ऑफ फॉरन रिलेशंस को खत लिखकर याद दिलाया है कि पाकिस्तान ने NSG में शामिल होने लायक श्रंखलाबद्ध कदम उठाए हैं। उन्होंने लिखा, ‘पाकिस्तान का दावा और इच्छा तकनीकी अनुभव, सक्षम और परमाणु सुरक्षा के वादे पर आधारित है। पाकिस्तान 42 सालों से सुरक्षित ढंग से परमाणु रिऐक्टर चला रहा है। पाकिस्तान की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए जरूरी है।’
पाकिस्तान ने एक महीने पहले विएना में इस ग्रुप में शामिल होने की इच्छा जताई थी। पाकिस्तान को चीन का समर्थन माना जा रहा है। हालांकि अमेरिकी प्रशासन और कांग्रेस के पाकिस्तान की दावेदारी के पक्ष में नहीं हैं।
इससे पहले, भारत को अमेरिकी समर्थन मिलने पर पाकिस्तान ने न्यूक्लियर टेक्नॉलजी होल्डर्स के कार्टेल को चेताया है कि अगर भारत को एनएसजी की सदस्यता मिलती है तो इससे दक्षिण एशिया की कूटनीतिक स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ेगा। चिंतित पाकिस्तान अब अपनी एनएसजी सदस्यता के लिए रूस, दक्षिण कोरिया और न्यू जीलैंड की ओर देख रहा है। पाकिस्तान के लिए एनएसजी सदस्यता में समर्थन जुटाने के लिए इस्लामाबाद में एक ब्रीफिंग सेशन भी रखा गया। बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने फोन पर रूस, दक्षिण कोरिया और न्यू जीलैंड के विदेश मंत्रियों से इस मामले में बातचीत भी की।