अफगान के पूर्व राष्ट्रपति ने जयपुर लिटरेचर फेस्ट में पहुंचकर कही भारत की ये बातें...
अफगान के पूर्व राष्ट्रपति ने जयपुर लिटरेचर फेस्ट में पहुंचकर कही भारत की ये बातें...

अफगान के पूर्व राष्ट्रपति ने जयपुर लिटरेचर फेस्ट में पहुंचकर कही भारत की ये बातें…

जयपुर। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने भारत की खुलकर तारीफ करते हुए उसे एक सहनशील और शांतिप्रिय देश बताया। उन्होंने भारत की सभ्यता व संस्कृति को महान बताया। पाक की आलोचना करते हुए कहा कि अफगान नीति में पाकिस्तान ने बहुत गलतियां की हैं, अब उन्हें गलतियां सुधारनी चाहिए। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में दूसरे दिन शुक्रवार को ‘द ग्रेट सरवाइवर’ नामक सत्र को संबोधित करते हुए करजई ने भारत की संस्कृति की जमकर तारीफ की। कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की क्रूरता के राज के खात्मे के बाद देश के नवनिर्माण में भारत ने सबसे पहले मदद की। मैं भारत की तरह ही पाकिस्तान के लोगों से भी प्यार करता हूं, लेकिन पाकिस्तान में सेना और वहां की खुफिया एजेंसियां समस्या हैं।अफगान के पूर्व राष्ट्रपति ने जयपुर लिटरेचर फेस्ट में पहुंचकर कही भारत की ये बातें...

अमेरिका ने अफगानिस्तान में कई गलतियां कीं

करजई ने कहा कि मैं गांधीवादी विचारों को मानता हूं, लेकिन जब तालिबान ने अटैक किया तो हम उनसे लड़े। सत्र में करजई ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन और उससे मुक्ति तक के सफर पर चर्चा की। कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति का पाकिस्तान को आतंकवाद से जोड़ने संबंधी बयान का हम समर्थन करते हैं। अमेरिका ने अफगानिस्तान में कई गलतियां कीं। उन्होंने ओबामा को बहुत ही अच्छा राष्ट्रपति और जॉर्ज बुश को स्कूल टीचर बताया। कहा कि जब अफगानिस्तान में तालिबान के खात्मे के बाद हमारी सरकार बनी, तब अफगानिस्तान लगभग बर्बाद हो चुका था।

भारत ने अफगानिस्तान के विकास में बहुत योगदान दिया

करजई ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान के विकास में बहुत योगदान दिया जबकि तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन था। अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार के सवाल पर करजई ने कहा कि अफगानिस्तान उतना ही भ्रष्ट है जितने दूसरे देश। अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार विदेशी ठेकों में होता है। उसके लिए विदेशी एजेंसियां जिम्मेदार हैं।

दिल्ली के खान मार्केट से खरीदी किताबों का किया जिक्र

करजई ने हिंदी फिल्मों और गानों के बारे में अपने प्रेम के बारे में बताया। वहीं दिलीप कुमार, हेमा मालिनी, राजकपूर, देवानंद, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, मन्नाडे जैसे बड़े हिंदी एक्टर्स और गायकों के नाम लेकर अफगानिस्तान में उनके प्रति दीवानगी की बात कही। करजई ने दिल्ली के खान मार्केट से खरीदी हुई गीतांजलि और कालिदास किताबों का जिक्र किया। उन्होंने शिमला को याद करते हुए कहा कि शिमला से मेरा लगाव रहा है, शिमला से मेरी सुनहरी यादें जुड़ी रही हैं। वहां की खूबसूरती देखकर मैं वहीं रहना चाहता था, लेकिन अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं के घुसने की खबर के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और लौटने का मन बना लिया।

एक फिल्म हमें खत्म नहीं कर सकती

फिल्मकार अनुराग कश्यप का कहना है कि जो हम अपने समाज में देखने को तैयार हैं वो फिल्मों में देखने को तैयार नहीं हैं। हम यह मानते हैं कि एक फिल्म हमें खत्म कर देगी। गुरुवार से जयपुर में शुरू हुए लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन वह अपनी फिल्मों और जीवन पर आयोजित सत्र ‘द हिटमैन’ में वाणी त्रिपाठी से बात कर हे थे। उन्होंने कहा, मुझे गुस्सा इस बात पर आता था कि लोग मुझे क्यों बताते हैं कि मेरे लिए सही क्या है। वाराणसी से मुंबई आया।

हिंदी अच्छी थी, इसलिए नाटकों में काम मिलने लगा। फिर कुछ बेहद खराब फिल्मों में काम किया। इसके बाद कैमरे के पीछे जाने का फैसला किया। फल्म गुलाल की चर्चा करते हुए कहा कि इसे बनाने में आठ साल लगे। राजस्थान में मैं कई लोगों से मिला। पता लगा कि यहां राजपूत समय से बहुत पीछे हैं। उनमें प्रिवी पर्स छिनने सहित कई बातों को लेकर गुस्सा है, लेकिन अपने आलस के कारण वो कुछ कर नही पा रहे हैं। गैंग्स ऑफ वासेपुर के बारे में अनुराग ने कहा कि यह सात घंटे की फिल्म बन गई थी और किसी की समझ

में नहीं आ रहा था कि इसका क्या करें। कान फिल्म महोत्सव में इसे पूरा दिखाया गया और मैं बहुत नर्वस था लेकिन वहीं से सब कुछ बदल गया। सेंसर बोर्ड से अपने विवादों के बारे में कहा कि मेरा पहला विवाद सत्या में गालियों को लेकर हुआ था। मैं पूरी डिक्शनरी लेकर गया था, सेंसर बोर्ड में उन गालियों का मतलब समझाने के लिए। अनुराग कश्यप ने कहा, लोग मुझे क्यों बताते हैं कि मेरे लिए सही क्या है।

निर्णय पसंद नहीं तो सरकार बदलो, हिंसा क्यों: विशाल

फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने एक अन्य सत्र में फिल्म पद्मावत पर उठे विवाद पर कहा,जनता को सरकार के निर्णय पसंद नहीं हैं तो सरकार बदलें, सड़कों पर हिंसा क्यों की जा रही है। इसका अधिकार किसी को नहीं है। देश सिस्टम से चलेगा। अगर सिस्टम ही नहीं होगा तो देश कैसे चलेगा। मीडिया से बातचीत करते हुए विशाल ने कहा कि भारतीय फिल्मों को निशाना बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अगर लोग हिंसात्मक प्रदर्शन कर रहें हैं तो ये सरकारों की कमजोरी है। सरकारों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद जिम्मेदारी से काम करना चाहिए था।

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