भारतीय स्टेट बैंक ने नये साल की शुरुआत अपने ग्राहकों को ब्याज दरों में कटौती का तोहफा देकर की. लेकिन तोहफे मिलने का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ है. एसबीआई अब आपको एक और बड़ा तोहफा दे सकता है. इसकी बदौलत आप न सिर्फ बैंक में कम पैसे रख पाएंगे, बल्कि चार्ज देने से भी बच जाएंगे.
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई ने पिछले साल मिनिमम बैलेंस चार्ज के तौर पर 1771 करोड़ रुपये वसूले. चार्जेज की ये रकम बैंक की एक तिमाही के नेट प्रोफिट से भी ज्यादा थी.
मिनिमम बैलेंस चार्ज को लेकर एकबार फिर एसबीआई की आलोचना शुरू हो गई है. दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से भी उस पर दबाव बढ़ने लगा है. ऐसे में एसबीआई आपको कम मिनिमम बैलेंस रखने का तोहफा तो दे ही सकता है, बल्कि एक और बड़ी राहत भी आपको देगा.
सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एसबीआई मिनिमम बैलेंस की सीमा 3000 से घटाकर 1000 रुपये करने की तैयारी कर रहा है. जल्द ही वह इस पर कोई फैसला ले सकता है.
अगर ऐसा होता है, तो आपको शहरी भाग में 3000 रुपये मिनिमम बैलेंस रखने की शर्त को पूरा करना नहीं पड़ेगा. इसके बाद कम से कम 1000 रुपये आपके खाते में होने जरूरी होंगे.
इसके साथ ही एसबीआई एक और राहत अपने ग्राहकों को देने की तैयारी कर रहा है. इसमें बैंक मिनिमम बैलेंस को मासिक स्तर पर नहीं, बल्कि त्रैमासिक स्तर पर रखने का नियम तय कर सकता है.
ये नियम आने के बाद आपके अकांउट में हर महीने 1000 रुपये होने जरूरी नहीं होंगे. दरअसल त्रैमासिक अथवा क्वार्टर्ली मिनिमम बैलेंस की शर्त होने का मतलब है कि आपको तीन महीने में कम से कम इतने पैसे खाते में रखने पड़ते हैं, जिनका औसत मिनिमम बैलेंस की सीमा को पूरा कर सके.
बता दें कि फिलहाल मेट्रो शहरों की एसबीआई शाखाओं में आपको 3000 रुपये का मिनिमम बैलेंस बनाए रखना पड़ता है. अर्द्ध शहरी भागों में 2000 और ग्रामीण भागों में यह सीमा 1000 रुपये है.
सरकारी बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक का मिनिमम बैलेंस रिक्वायरमेंट सबसे ज्यादा है. हालांकि निजी बैंकों में कई और बैंक हैं, जिनकी रिक्वॉयरमेंट इससे ज्यादा है.
अगर एसबीआई ने शहरी भागों में मिनिमम बैलेंस की सीमा कम की, तो वह अर्द्ध शहरी और ग्रामीण भागों में भी इसे कम करने का फैसला ले सकता है. मिनिमम बैलेंस की सीमा कम होने से आप अपने अकाउंट में कम पैसे रख पाएंगे और आपको कम बैलेंस होने के लिए चार्ज नहीं देना पड़ेगा.