पहले चरण के मतदान में निर्णायक होंगे जाट

पहले चरण के चुनाव में जाट निर्णायक के रोल में होंगे। 11 फरवरी को जिन जिलों में पोलिंग हो रही है इनमें से 11 जिलों की विधानसभा सीटों पर जाट बिरादरी का बाहुल्य है। अब यह किधर जाएंगे यह तो कह पाना मुश्किल है लेकिन इतना जरूर है कि जिस पार्टी पर भी जाट जाएंगे उसके ‘ठाट’ हो जाएंगे।election-code-of-conduct_1483632300
 
यूं तो प्रदेश की 125 सीटों पर करीब पांच फीसदी जाट वोट हैं। लेकिन आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर जिले में जहां पहले चरण का चुनाव होना है वहां जाट वोट 20 से लेकर 35 फीसदी तक हैं। यहां जाट बिरादरी हमेशा से निर्णायक की भूमिका में रही है। जिधर जाट वोट चला गया वहीं ताकत मिल गई। इस वोट पर सभी दल अपनी दावेदारी कर रहे हैं। रालोद भी इन सीटों को लेकर दम भरती है और भाजपा ने भी इस समाज के बीच में अपनी अच्छी पकड़ बना ली है। सपा, बसपा और कांग्रेस का भी दावा रहता है कि जाट समाज उनके साथ खड़ा होता है। इन सीटों पर प्रचार के लिए जाट नेताओं को उतारा जाता है। सभाएं कराई जाती हैं। इनकी समस्याओं को शिद्दत के साथ उठाकर समाधान के दावे होते हैं।        

मथुरा की पांच सीटों में चार जाट बहुल
मथुरा। जिले में बलदेव, मांट, छाता और गोवर्धन विधानसभा सीट को जाट बहुल माना जाता है। बलदेव विधानसभा में वोटरों की संख्या 3,45428 है। यहां 60 फीसदी जाट वोट हैं। मांट विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 3,13,883 है। इस सीट पर भी जाट मतदाताओं का प्रतिशत करीब 55 फीसदी है। छाता विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 3,39418 है। इस सीट पर भी जाट वोट 35 फीसदी के करीब है। जबकि गोवर्धन सीट पर 309557 मतदाता हैं। यहां जाट वोट 30 फीसदी के करीब हैं।

केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण बहाली की मांग
मथुरा। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल सिंह मलिक का कहना है कि जाट केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण बहाली की मांग कर रहे हैं। भाजपा ने कई दफा इसके लिए दावा किया लेकिन अभी तक बिरादरी को आरक्षण बहाल नहीं हो सका है।

कृषि पर आधारित है जाट बिरादरी: एचपी सिंह परिहार
मथुरा। बलदेव विधानसभा के गांव बरौली निवासी संयुक्त जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष एचपी सिंह परिहार ने बताया कि जाट बिरादरी के अधिकांश लोग गांवों में रहते हैं। कृषि पर आधारित हैं। लेकिन फसलों का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। खेती महंगी होती जा रही है। लिहाजा सरकारों को चाहिए कि खेती की स्थिति सुधारने को प्लान बनाए जाएं। केंद्रीय नौकरियों में जाट समाज का आरक्षण बहाल कराया जाए। बेरोजगार नौजवानों को रोजगार की व्यवस्था हो।

कृषि आधारित रोजगार उपलब्ध कराए जाएं
मथुरा। मांट निवासी जाट नेता वीरपाल सिंह का कहना है कि जाट बिरादरी आज भी गांवों में ही रहती है। लिहाजा सरकार को चाहिए कि ग्रामीण विकास के प्लान बनाए जाएं। खेती को उद्योग का दर्जा देकर रोजगार के साधन नौजवानों को उपलब्ध कराए जाएं।

 
 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com