इस इंडियन क्रिकेटर को कैच छोड़ने के बदले मिली सेक्स की पेशकश

इंडियन वर्सेज़ वेस्ट इंडीज़. वो दो टीमें जिन्होंने दुनिया को वर्ल्ड कप जीतना सिखाया. आज आपस में दोबारा भिड़ने को तैयार हैं. टेस्ट सीरीज़ की खातिर. 4 टेस्ट मैच. टीम इंडिया के लिए ये साल की आखिरी विदेशी ज़मीन पर खेली जाने वाली सीरीज़ है. इसके बाद उसे सभी टेस्ट मैच अपने ही देश में खेलने हैं. वहीं वेस्ट इंडीज़ की टीम अपने स्टार प्लेयर्स और टी-20 टीम चैम्पियन टीम के मुख्य नामों के बिना मैच खेलने उतरेगी.

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चूंकि इन दोनों ही देशों के बीच क्रिकेट का इतिहास खासा पुराना है, इनके बीच कई किस्से भी सुनने-देखने को मिलते हैं. ऐसे ही कुछ किस्से:

1. नयन मोंगिया और मनोज प्रभाकर पर लगा फ़िक्सिंग का इल्ज़ाम

अज़हरुद्दीन की कप्तानी में इंडिया 258 रन का पीछा रहा था. मैच था कानपुर में. 195 रन पर टीम इंडिया का पांचवां विकेट गिरा. आउट हुए अजय जडेजा. उनके साथ खेल रहे थे मनोज प्रभाकर. ओपेनिंग करने आये थे और आउट ही नहीं हुए थे. जडेजा के जाते ही आये विकेटकीपर बैट्समैन नयन मोंगिया. मोंगिया ने आकर प्रभाकर को वो संदेश सुनाया जो उन्हें टीम मैनेजमेंट से मिला था. उन्होंने प्रभाकर से कहा कि मैनेजमेंट ने टार्गेट के जितना नज़दीक हो सके, पहुंचने को कहा है.

टीम इंडिया को चाहिए थे 54 गेंद में 63 रन. अगले चार ओवरों में मात्र पांच रन. और अगले बचे पांच ओवरों में मात्र ग्यारह रन. मगर इसी बीच प्रभाकर ने अपनी सेंचुरी ज़रूर पूरी करी. 154 गेंदों पर 102 रन. जिसके लिए उन्हें रत्ती भर की भी शाबाशी नहीं मिली. नयन मोंगिया ने 21 गेंदों में 4 रन बनाये.

मैच में उनकी बैटिंग देख लग ही नहीं रहा था कि वो मैच जीतने के बारे में सोचना भी चाह रहे थे. मानो सुबह उठे ही मैच हारने को थे. कई लोगों को फ़िक्सिंग की चिड़िया उड़ती नज़र आई. इंडिया 46 रन से मैच हारा.

मैच के बाद प्रभाकर ने सफाई दी कि उन्होंने मैनेजमेंट के कहे अनुसार काम किया. मैच रेफ़री ने मनोज प्रभाकर और नयन मोंगिया को बाकी के टूर्नामेंट के लिए सस्पेंड कर दिया. उन्होंने कहा कि टीम वेस्ट इंडीज़ को फाइनल में चाहती थी इसलिए उसे जीतने दिया. हालांकि इंडिया ने अगले मैच में कलकत्ता में वेस्ट इंडीज़ को 72 रनों से हरा दिया था.

2. जमाइका में हुई बोतलबाजी

खिलाड़ी ऐसे भी होते हैं कि लोग सिर्फ उन्हें ही देखने आते हैं. विव रिचर्ड्स भी ऐसे ही एक खिलाड़ी थे. उन्हें देखने को भीड़ उमड़ती थी. इंडिया जमाइका में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ़ टेस्ट मैच खेल रही थी. विव रिचर्ड्स को गेंद फेंकी गयी और उन्होंने मिस कर दी. विकेट-कीपर किरन मोरे और स्लिप में खड़े दिलीप वेंगसरकर ने ज़ोरदार अपील की. अम्पायर दबाव में थे. एक ओर विव रिचर्ड्स और दूसरी ओर ज़ोरदार अपील. वो ज़्यादा ही कन्फ्यूज़ हुए तो उन्होंने लेग अम्पायर से मुलाकात की. विव रिचर्ड्स को आउट दे दिया गया.

बॉल ने बैट से कॉन्टैक्ट नहीं किया था. विव नॉट-आउट थे. लेकिन वो पवेलियन की ओर चल पड़े. मैच देखने आई जनता परेशान हो उठी. उसने शोर करना शुरू कर दिया. साथ ही मैदान पर कहीं से एक बोतल आ गिरी. बियर की भारी भरकम बोतल. और बस! फिर मैदान पर बोतलें गिरती रहीं. मैच रुक गया. कई बोतलें तो अम्पायरों के पास भी आकर गिरीं.

जब कुछ समझ नहीं आया तो पवेलियन से विव रिचर्ड्स खुद निकले. मैदान पर क्लाइव लॉयड भी आ गए. विव ने मैदान का चक्कर लगाया और सभी दर्शकों से शांत हो जाने को कहा. तब जाकर लोग शांत हुए और मैच आगे बढ़ा.

3. सोल्कर को कैच के बदले बहन देने की पेशकश

1971 में इंडिया वर्सेज़ वेस्ट इंडीज़ सीरीज़ चल रही थी. वेस्ट इंडीज़ के ही घर में. वेस्ट इंडीज़ के बैट्समैन एल्विन कालीचरन अभी नए नए ही क्रीज़ पर आये थे. कालीचरन एक धांसू बैट्समैन थे और उनका विकेट हर कोई जल्दी ही लेना चाहता था. वरना वो लम्बी इनिंग्स खेलने के लिए मशहूर थे.

कालीचरन ने अपनी इंग्स की शुरुआत में ही गेंद को बहुत ऊपर मार दिया. टाइमिंग ठीक नहीं थी इसलिए गेंद बाउंड्री पार जाने की बजाय ऊपर टंग गयी. गेंद को कैच करने के लिए दौड़े एकनाथ सोल्कर. एकनाथ अपनी कैचिंग के लिए जाने जाते थे. वो एक सेफ़ हैण्ड थे. लेकिन गेंद इतनी ऊपर थी कि वो खुद को गेंद के नीचे पोज़ीशन कर उसके नीचे आने का इंतज़ार कर रहे थे. तब तक दर्शकों के बीच में से एक आवाज़ आई “अरे सोल्कर! अगर कैच छोड़ दो तो मेरी बहन तुम ले सकते हो.”

सोल्कर ने कैच कर लिया. सभी प्लेयर्स दौड़ कर उनके पास पहुंचे. वहां इंडियन कैप्टन अजीत वाडेकर ने उनसे पूछा, “तुमने सुना नहीं था उसने कहा क्या था?” सोल्कर ने कहा, “हां मैंने सुना था.” अजीत ने फिर पूछा, “तो कैच क्यूं पकड़ा?”

इसपर सोल्कर ने जवाब दिया “मैंने उसकी बहन को देखा तो है नहीं. क्या पता कैसी दिखती होगी. अच्छी नहीं दिखती हो तो मैं तो फंस जाता.”

4. सचिन आउट तो इंडिया आउट

इंडियन टीम वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर थी. साल 1997. कप्तानी कर रहे थे सचिन तेंदुलकर. ब्रायन लारा का कप्तान के रूप में पहला मैच.

इंडियन टीम ने पहली इनिंग्स में बेहतरीन बैटिंग की. वेस्ट इंडीज़ के 298 रन के जवाब में 319 रन बनाये. सचिन ने 92 और द्रविड़ ने 78 रन बनाये. हालांकि टीम की पूछ ने बहुत साथ नहीं दिया. वेस्ट इंडीज़ की दूसरी इनिंग्स में अबे कुरुविला ने वेस्ट इंडीज़ की नाव में छेद कर दिया. पांच विकेट लिए. 21 ओवर में. इंडिया को जीतने के लिए मात्र 120 रन चाहिए थे. दूसरी इनिंग्स में चेज़ करते हुए चौथे विकेट के रूप में आउट हुए सचिन तेंदुलकर. स्कोर था मात्र 32 रन. और इसके बाद आना-जाना यूं शुरू हुआ कि रुका नहीं. अगले 6 विकेट 49 रन में गिरे. पूरी टीम 81 रन पर आउट हो गयी. टीम मैच हार गयी.

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