प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल आज खत्म हो रहा है. रामनाथ कोविंद आज देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं. जाने से पहले प्रणब मुखर्जी ने एक भावुक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि आपके स्नेह और समर्थन के लिए धन्यवाद. कल जब मैं आपसे बात करूंगा तो एक राष्ट्रपति के रूप में नहीं बल्कि एक नागरिक के रूप में होगा.
उनके इस भावुक कर देने वाले ट्वीट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने री-ट्वीट किया है.गौरतलब है कि अब वह अपने नए आवास 10 राजाजी मार्ग में शिफ्ट हो जाएंगे.
यह बंगला पहले संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के पास था. महेश शर्मा को अब 10 अकबर रोड स्थित एक बंगला आवंटित कर दिया गया है. इसी बंगले में एपीजे अब्दुल कलाम भी रहा करते थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक- इसी बंगले में भारतीय गवर्नर राजगोपालाचारी जब रहने गए तो वह वायसराय के शानदार बेडरूम में नहीं सो पाए थे.
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इसलिए वह गेस्ट रूम में सोने लगे. तब से जो भी यहां रहा, वह गेस्ट रूम में ही सोता है. इसके साथ ही प्रणब मुखर्जी को 75 हजार प्रति माह की पेंशन मिला करेगी. राष्ट्रपति रहने के दौरान उन्हें डेढ़ लाख रुपये मिलते हैं.
राष्ट्रपति भवन में रहने के दौरान उन्हें 200 लोगों का स्टाफ मिला हुआ था. लेकिन रिटायर होने के बाद उन्हें पांच लोग मिलेंगे. प्रणब मुखर्जी को ताउम्र मुफ्त मेडिकल सुविधा के साथ ट्रेन और प्लेन में वह मुफ्त सफर भी कर सकेंगे.
एक ऐसे राष्ट्रपति जो अपराधियों के लिए रहे शामत
आम लोगों के बीच राष्ट्रपति को लेकर इस बात चर्चा ज्यादा होती है कि उन्होंने किसकी फांसी की सजा माफ की और किसकी नहीं. प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में मुंबई के 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब और संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु और 1993 मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेनन की फांसी की सजा पर फौरन मुहर लगा दी.
यानी प्रणब इस रूप में याद किए जाएंगे उन्होंने बतौर राष्ट्रपति तीन बड़े आतंकी अजमल, अफजल और याकूब को फांसी दिलाने में अहम रोल निभाया. कसाब को 2012, अफजल गुरु को 2013 और याकूब मेनन को 2015 में फांसी हुई थी.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पूरे कार्यकाल में करीब 37 क्षमायाचिका आए, जिसमें उन्होंने ज्यादातर में कोर्ट की सजा को बरकरार रखा. रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध के लिए फांसी की सजा दी जाती है. राष्ट्रपति ने 28 अपराधियों की फांसी को बरकरार रखा.
कार्यकाल की समाप्ति के पहले मई महीने में भी प्रणब मुखर्जी ने रेप के दो मामलों में दोषियों को क्षमा देने से मना कर दिया. एक मामला इंदौर का था
और दूसरा पुणे का. पूरे कार्यकाल में प्रणब मुखर्जी ने चार दया याचिका पर फांसी को उम्रकैद में बदला. ये बिहार में 1992 में अगड़ी जाति के 34 लोगों की हत्या के मामले में दोषी थे. राष्ट्रपति ने 2017 नववर्ष पर कृष्णा मोची, नन्हे लाल मोची, वीर कुंवर पासवान और धर्मेन्द्र सिंह उर्फ धारू सिंह की फांसी की सजा को आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया.