30 जून की आधी रात जब घड़ी की सुई आगे बढ़ेगी और 1 जुलाई का स्वागत करेगी तब भारतीय इतिहास भी कर व्यवस्था की दृष्टि से एक नए युग में दाखिल होगा. तब एक देश एक कर लागू हो चुका होगा.
लेकिन, लेकिन… इस वक़्त सब के मन में सवाल है कि आखिर ये जीएसटी क्या बला है.. और पुरानी कर व्यवस्था से कैसे अलग है. अब टैक्स के कितने सलैब होंगे. रोजमर्रा की चीज़ें सस्ती होगी या महंगी.. स्मार्टफोन सस्ते होंगे या महेंगे… कार महंगी होगी या सस्ती… सवाल ये भी हैं कि अभी टैक्स कैसे वसूले जाते हैं. ऐसे ढेरों सवाल जेहन में उठ रहे हैं… लेकिन जवाब नदारद. तो आइए समझते हैं कि जीएसटी क्या है.
पार्ट-1: जानिए- मौजूदा कर व्यवस्था और जीएसटी में क्या फर्क है?
आपको बता दें कि जीएसटी के तहत पूरे देश में एक सामान पर टैक्स की एक ही दर होगी.
कितने तरह के टैक्स का अमलगम है जीएसटी?
जीएसटी में केंद्र और राज्य सरकार के अप्रत्यक्ष टैक्स को एक साथ मिला दिया गया है.
जीएसटी में जिन अप्रत्यक्ष कर को शामिल किया गया है:
केंद्र के टैक्स
-केद्रीय उत्पाद शुल्क (सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी)
-अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एडिशनल एक्साइज ड्यूटी)
-अतिरिक्त सीमा शुल्क (काउंटरवेलिंग ड्यूटी यानी सीवीडी)
-विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क (स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम)
-सेवा कर और सामान व सेवाओं पर लगने वाले तमाम सेस और सरचार्ज
राज्य के टैक्स
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-वैट
-सेंट्रल सेल्स टैक्स
-लग्जरी टैक्स
-एंट्री टैक्स
-मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों की ओर से लगाए जाने वाले मनोरंजन कर को छोड़कर)
-विज्ञापन पर कर
-परचेज टैक्स
-लॉटरी, सट्टेबाजी और जुए पर लगाने वाले टैक्स के अलावा राज्य सरकारों की से लगाए जाने वाले तमाम सेस और सरचार्ज
जीएसटी में क्या होगा?
मौजूदा अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था और जीएसटी में सबसे बड़ा फर्क यही है कि अभी जहां हर स्तर पर कर लगता है और कर पर कर लगता है, वहीं नयी व्यवस्था में सिर्फ केवल अंतिम पड़ाव यानी उपभोक्ता पर ही कर लगेगा और बाकी सारे स्तर के कर बाद के कर से घटा दिए जाएंगे. तकनीकी भाषा में कहें तो जीएसटी एक Destination based tax है.
मौजूदा टैक्स व्यवस्था कैसे काम करती है?
उत्पादन की लागत – 100 रु
टैक्स
सीएसटी – 2 फीसदी
इंट्री टैक्स – 2 फीसदी
एक्साइज ड्यूटी – 12.5 फीसदी
वैट – 14.5 फीसदी
सर्विस टैक्स – 1 फीसदी
कुल – 32 फीसदी
कीमत – 132 रुपये
अब यहां एक परेशानी ये है कि कर पर कर लगता है. मसलन, यदि किसी सामान की लागत 100 रुपये है और फैक्ट्री से निकलते ही उस पर साढ़े 12 फीसदी की दर यानी 12.5 रुपये का एक्साइज ड्यूटी लगता है तो कुल लागत हो जाती है 112 रुपये 50 पैसे. अब जब इस पर साढ़े 14 फीसदी की दर से वैट लगना है तो उसका आकलन 100 रुपये नहीं, बल्कि 112 रुपये 50 पैसे पर होगा, यानी हुआ ना कर पर कर. इससे उपभोक्ताओं पर दोहरी मार पड़ती है.
जीएसटी में किस तरह से टैक्स लगेगा?
उत्पादन की लागत – 100 रुपये
जीएसटी – 28 फीसदी
कुल कीमत 128 रुपये
चूंकि कर का जाल यहां खत्म हो गया तो मुमकिन है कई सामान पर टैक्स की दर घट जाएगी जिसका नतीजा ये होगा कि उसकी कीमत में कमी आएगी. यही वजह है कि सरकार कह रही है कि जीएसटी लागू होने के बाद कई सामान के दाम घटेंगे.