बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए सरकार एक ऐसी योजना बना रही है, जिसमें ज्यादा रोजगार देने वाली कंपनियों को इंसेंटिव्स दिया जा सकजा है। साथ ही कोस्टल एंप्लॉयमेंट जोन बनाने की योजना पर भी विचार हो रहा है, जिसमें टैक्स इंसेंटिव्स को जॉब क्रिऐशन से जोड़ दिया जाएगा।
सरकार लेदर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और जेम्स ऐंड जूलरी जैसे सेक्टरों को रोजगार के मौके बनाने के लिए उसी तर्ज पर इंसेंटिव्स देने पर विचार कर रही है। भारत में हर साल जॉब मार्केट में करीब 1.2 करोड़ लोग आते हैं और आबादी में 65 पर्सेंट से ज्यादा लोगों की उम्र 35 साल से कम है। इस स्थिति के दम पर भारत दुनिया में मानव संसाधन का बड़ा केंद्र बन सकता है।
सितंबर 2016 में सरकार ने पांचवां सालाना रोजगार-बेरोजगारी सर्वे जारी किया था। उसके मुताबिक, करीब 77 पर्सेंट परिवारों में या कोई सैलरीड मेंबर नहीं है या उनके पास आय का कोई नियमित जरिया नहीं है। लेबर मिनिस्ट्री ने प्रस्ताव दिया है कि ज्यादा श्रम शक्ति की जरूरत वाले सभी सेक्टरों को फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट का विकल्प दिया जाए, प्रॉविडेंट फंड में उनके अंशदान की जरूरत खत्म कर दी जाए और ओवरटाइम की अवधि बढ़ाई जाए।
मिनिस्ट्री ने कहा है कि इन सेक्टरों में 15,000 रुपये महीने से कम पाने वाले वर्कर्स को भी प्रॉविडेंट फंड में अंशदान नहीं करने का विकल्प दिया जाना चाहिए। लेबर की ज्यादा जरूरत वाले सभी सेक्टरों में फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट को लागू करने से एंप्लॉयर्स को तय अवधि के लिए डिमांड के आधार पर वर्कर्स को हायर करने में सहूलियत होगी और ऐसे वर्कर्स को काम के घंटों, तनख्वाह, भत्तों और अन्य बातों में स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं भी दी जा सकेंगी।
इसके अलावा सरकार कोस्टल एंप्लॉयमेंट जोन बनाने का ऐलान कर सकती है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को रोजगार सृजन पर इंसेंटिव्स दिए जाएंगे। यह प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था। इसके तहत 10000 जॉब्स के मौके बनाने वाली कंपनियों से पांच साल तक कॉर्पोरेट टैक्स न लेने की बात थी।