आंदोलनकारी किसान रेलवे स्टेशनों पर जाकर रेल यात्रियों से संवाद स्थापित करेंगे और उन्हें बताएंगे कि देश का अन्नदाता, जिसे अपने खेत में होना चाहिए था, करीब तीन माह से दिल्ली की सीमाओं पर पड़ा है। भारत सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे, इसके लिए वे रेल यात्रियों से समर्थन की अपील भी करेंगे।
गाजीपुर बार्डर आंदोलन कमेटी के सदस्य जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि किसानों को सोशल मीडिया पर सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए और गुरूवार को रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए सेशल मीडिया पर किसानों को सक्रिय करने की मुहिम तेज की जा रही है। बुधवार को दर्जनों किसानों को सोशल मीडिया की जानकारी दी गई।
गुजरात, कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल और यहां तक कि केरल जैसे सुदूर दक्षिण राज्य से भी किसान आंदोलन के साथ जुड़ रहे हैं और अपने राज्यों में किसान पंचायतों के लिए समय की मांग कर रहे हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि वह सभी राज्यों में जाकर पंचायतें करेंगे और सरकार की ओर से थोपे गए नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों को जागरूक करने का काम करेंगे। एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि पश्चिमी बंगाल से लगातार लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं और वहां पंचायतें कराना चाहते हैं। जल्द ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी जाएंगे और कृषि कानूनों के बारे में वहां के लोगों को बताकर समर्थन जुटाने का प्रयास करेंगे।
राकेश टिकैत ने एक सवाल के जबाब में कहा कि आंदोलन में शामिल आंदोलनकारी किसानों की संख्या कहीं कम नहीं हो रही। किसान लगातार आंदोलन स्थलों पर आते-जाते रहते हैं। किसान को अपना खेत भी देखना है और आंदोलन भी। सभी किसान आंदोलन को लेकर एकजुट हैं, लेकिन फिलहाल खेतों में भी उसी का कार्य जोरों पर है इसलिए किसान अपने खेतों में काम करने गए हैं उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर एक बुलावे में सभी किसान एकत्रित हो जाएंगे, साथ ही उन्होंने कहा कि बंगाल चुनाव से पहले वह पश्चिम बंगाल का भी दौरा करेंगे और पश्चिम बंगाल के किसानों की समस्या भी सुनेंगे। बंगाल के किसानों की समस्या को वे केंद्र व राज्य सरकार के सामने रखेंगे और पश्चिम बंगाल के किसानों की स्थिति पर सरकार से सवाल भी करेंगे।
भाजपा की ओर से सांसद-विधायकों के गांव-गांव जाकर संपर्क करने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि वो लोग ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर जाएं। इसके साथ ही टिकैत ने ग्रामीणों से आव्हान किया है कि जो भी सांसद-विधायक आपके क्षेत्र में आए उससे बड़ी शालीनता के साथ यह पूछना न भूलें कि चार वर्षों में गन्ने के रेट में एक नन्ही पाई भी क्यों नहीं बढाई? दूसरा सवाल ग्रामीण यह करें कि अब तक भी गन्ना किसानों के 15 हजार करोड़ का भुगतान क्यों नहीं किया गया?
केरल से किसानों के संगठन “यूनाइटेड फार्मर ऑफ केरला” का एक जत्था बुधवार को गाजीपुर बार्डर पहुुंचा। जत्थे ने आंदोलन स्थल पर ही डेरा डाल दिया है। केरल से आए किसानों ने किसान नेता राकेश टिकैत से वार्ता कर अपना समर्थन जताया और ज्यादा संख्या में इतनी दूर आने में असमर्थता जताते हुए उनसे एक पंचायत में केरल में करने का आव्हान किया है। राकेश टिकैत ने उन्हें जल्द ही कार्यक्रम तय करके केरल में पंचायत करने का आश्वासन दिया है।
पंजाब से भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) का एक प्रतिनिधिमंडल गाजीपुर बार्डर पहुंचा और राकेश टिकैत से मिलकर आंदोलन का समर्थन किया। किसानों का यह प्रतिनिधिमंडल सुखनाम सिंह साहनी के नेतृत्व में पहुंचा। श्री साहनी ने काफी देर तक राकेश टिकैत के साथ आंदोलन को लेकर चर्चा की और अपने संगठन की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
किसान आंदोलन स्थल पर दिल्ली पुलिस द्वारा की गई किलेबंदी और सड़क पर कीलें लगाने के जबाब में किसान नेता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बार्डर पर फूल उगाए थे। टिकैत बुधवार को फावड़ा लेकर फूलों के खेत को देखने पहुंचे। उन्होंने फावड़े से पौधों की क्यारी बना साफ की और फिर बाल्टी से उन्हें पानी भी दिया। इस दौरान तमाम मीडिया चैनलों ने राकेश टिकैत को कवर किया और कांटों के जबाब फूल लगाने की तारीफ भी की।टिकैत ने कहा कि यह फुलवारी किसानों की शांति का पैगाम है। सरकार किसानों के विरुद्ध चाहें जितनी भी कीलें लगा दे, किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहेंगे।