कांग्रेस में व्यापक बदलाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र से पैदा विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद, 23 नेताओं में से एक हैं जिन्होंने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी। उन्होंने शनिवार को कहा कि ‘कांग्रेस प्रमुख को लिखे गए पत्र का गलत मतलब निकाला गया, इसमें नेतृत्व परिवर्तन की कोई मांग नहीं की गई थी।’
जितिन प्रसाद ने पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि ‘शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व पर पूरा विश्वास है, पत्र लिखने का मकसद पार्टी को नई ऊर्जा देने की मांग करना था।’
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर क्यों किया तो प्रसाद ने कहा कि ‘पत्र पार्टी के पुनर्निधारण और पुनरुद्धार के सुझाव के एकमात्र उद्देश्य के साथ लिखा गया था, और संगठन को मजबूत करने के लिए आत्मनिरीक्षण किया। यह शीर्ष नेतृत्व को कमजोर करने के लिए नहीं था। मैंने यह कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी कहा था।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि “पत्र का गलत मतलब निकाला गया।” जब उनसे पूछा गया कि पार्टी के कुछ नेताओं के आरोपों पर शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाने का इरादा था तो प्रसाद ने कहा कि “मुझे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरा विश्वास है और उन्हें मुझ पर पूरा भरोसा है।”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की पार्टी इकाई ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के विशेष आमंत्रित सदस्य जितिन प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर दिया था और प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया था। इसके कुछ दिनों बाद जितिन प्रसाद की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है।
प्रसाद ने कहा कि जिला कांग्रेस समिति (डीसीसी) द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग का प्रस्ताव प्रतिद्वंद्वी गुटों के स्थानीय दायित्व का परिणाम हो सकता है। 46 वर्षीय नेता ने कहा कि ‘ये छोटे मामले हैं जो हर लोकतांत्रिक पार्टी में होते हैं और प्रतिद्वंद्वी गुटों के स्थानीय दायित्व का परिणाम हो सकते हैं। मैं किसी के भी खिलाफ कोई शिकायत नहीं करता हूं क्योंकि हर कोई कांग्रेस परिवार का हिस्सा है।’
उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि यह मामला बंद हो गया है और हमें सत्तारूढ़ विवाद से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।’
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हुए एक ऑडियो क्लिप के बारे में पूछे जाने पर जिसमें लखीमपुर खीरी के डीसीसी प्रमुख ने कथित तौर पर सुझाव दिया था कि एआईसीसी के निर्देशों के बाद प्रस्ताव पारित किया गया था, प्रसाद ने कहा कि “मैं असत्य मीडिया रिपोर्टों पर टिप्पणी नहीं करता।”
पत्र को लेकर हुए विवाद के बाद आगे बढ़ने पर उन्होंने कहा कि ‘बिहार, बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण चुनाव आ रहे हैं और हम अपनी ऊर्जा सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने में लगाएंगे।’
प्रसाद के अलावा 22 अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और शशि थरूर जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। जिसमें अन्य संगठनात्मक परिवर्तनों के बीच एक सक्रिय और पूर्णकालिक पार्टी नेतृत्व की तलाश करने की बात कही गई थी।
इस पत्र से उठे बवाल के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने तत्काल संगठनात्मक सुधारों की मांग करते हुए बैठक बुलाई थी। बैठक में पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में से कई ने कहा कि ‘वे नेतृत्व से असंतुष्ट नहीं हैं, लेकिन पुनरुद्धार के प्रस्तावक हैं।’