उत्तर भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी का दौर जारी है। इसका सीधा असर मध्यप्रदेश पर भी दिख रहा है। सर्द हवाओं की रफ्तार फिलहाल कमजोर पड़ी है, इसी वजह से प्रदेश में अगले तीन दिन तक शीतलहर का कोई अलर्ट नहीं है। हालांकि राहत केवल अलर्ट तक सीमित है, क्योंकि तापमान लगातार नीचे जा रहा है और रातें ज्यादा सर्द होती जा रही हैं। प्रदेश में इस समय सबसे ठंडा इलाका शहडोल जिले का कल्याणपुर रिकॉर्ड किया गया है। यहां न्यूनतम तापमान 5 डिग्री से नीचे बना हुआ है। बीती रात पारा 4.7 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया, जिसने पूरे प्रदेश में ठंड का ट्रेंड साफ कर दिया है।
दो नए सिस्टम बढ़ाएंगे ठंड का असर
मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत की ओर दो और पश्चिमी विक्षोभ बढ़ रहे हैं। इनके असर से पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश जारी रहेगी। जब ये सिस्टम आगे बढ़ेंगे, तब जमी हुई बर्फ पिघलेगी और उत्तर से ठंडी हवाएं मध्यप्रदेश की ओर बढ़ेंगी। इसके बाद एक बार फिर प्रदेश में कोल्ड वेव यानी शीतलहर की वापसी होगी।
25 शहरों में 10 डिग्री से नीचे पारा
प्रदेश के 25 शहरों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। बड़े शहरों की बात करें तो इंदौर में पारा 5.9 डिग्री रहा, भोपाल में 6.4 डिग्री, ग्वालियर में 9.8 डिग्री, उज्जैन में 9.2 डिग्री और जबलपुर में 8.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। इसके अलावा राजगढ़-पचमढ़ी में 5.4 डिग्री, मंदसौर में 6 डिग्री, शाजापुर में 6.4 डिग्री, रीवा में 7 डिग्री और कई अन्य जिलों में रात का तापमान 7 से 9 डिग्री के बीच बना रहा।
ऊपर आसमान में तेज जेट स्ट्रीम
मौसम में ठंड बनाए रखने में जेट स्ट्रीम की भी अहम भूमिका है। वर्तमान में उत्तर भारत के ऊपर जमीन से करीब 12.6 किलोमीटर की ऊंचाई पर जेट स्ट्रीम करीब 176 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बह रही है। इसका प्रभाव मध्यप्रदेश तक महसूस किया जा रहा है। कुछ समय पहले इसकी रफ्तार 222 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच चुकी है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक जेट स्ट्रीम ऊंचाई पर चलने वाली बेहद तेज हवा होती है। जब पहाड़ों से आने वाली बर्फीली हवाओं के साथ इसका मेल होता है, तब ठंड का असर कई गुना बढ़ जाता है।
नवंबर में ही टूट चुके रिकॉर्ड
इस सीजन में ठंड ने नवंबर में ही पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भोपाल में लगातार 15 दिन तक शीतलहर चली, जो 1931 के बाद सबसे लंबा दौर रहा। 17 नवंबर की रात भोपाल का तापमान 5.2 डिग्री तक गिर गया, जो अब तक का सबसे कम रिकॉर्ड है। इंदौर में भी 25 साल बाद नवंबर में पारा 6.4 डिग्री तक पहुंचा।
दिसंबर-जनवरी में ठंड का असली दौर
मौसम विभाग का कहना है कि जिस तरह मानसून में जुलाई-अगस्त सबसे अहम होते हैं, उसी तरह ठंड के लिहाज से दिसंबर और जनवरी सबसे प्रभावी महीने माने जाते हैं। इन्हीं महीनों में उत्तर भारत से आने वाली सर्द हवाएं सबसे ज्यादा असर दिखाती हैं। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय रहने से मावठा गिरने की संभावना भी रहती है, जिससे दिन में भी ठंड बढ़ेगी। मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिसंबर में कई बार कोल्ड वेव का असर देखने को मिलेगा, जबकि जनवरी में यह दौर 20 से 22 दिन तक खिंच सकता है।
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