भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बार फिर बॉर्डर पर झड़प हुई है. ईस्टर्न लद्दाख में पैंगोंग झील इलाके के पास दोनों देशों के सैनिक 29-30 अगस्त की रात को आमने-सामने आए.
चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के समाधान को लेकर गंभीर नहीं है। चीन के साथ जारी मिलिट्री वार्ता में गतिरोध की स्थिति हो गई है। क्योंकि, भारतीय सेना इस बात के लिए जोर दे रही है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को अप्रैल की स्थिति बहाल करनी चाहिए, ताकि तीन महीने से ज्यादा समय से जारी तनाव खत्म हो सके। ये जानकारी सरकार के सूत्रों ने दी।
सूत्रों ने कहा कि इंडियन आर्मी ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को साफ तौर पर कहा है कि एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) की ‘शिफ्टिंग’ स्वीकार्य नहीं है। इंडियन आर्मी की कड़ी प्रतिक्रिया के चलते पीएलए को अपने गलत कामों के अप्रत्याशित और अनपेक्षित परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। यह ‘फेस-सेविंग एग्जिट स्ट्रैटजी’ की तलाश में है।
सूत्र ने कहा कि चीन की ओर से केवल टालमटोल की रणनीति का सहारा लिया जा रहा है। वह सीमा गतिरोध का हल खोजने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बीच भारत-चीन में गुरुवार को एक बार फिर बातचीत हुई। वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड को-ऑर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) की 18वीं मीटिंग में दोनों देशों के जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के अफसर शामिल हुए थे।
सूत्रों ने दावा किया था कि पीएलए गलवान घाटी और कुछ अन्य जगहों से पीछे हटा है, लेकिन पैंगोंग त्सो, देपसांग और कुछ अन्य क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी नहीं हुई है। कमांडर-स्तरीय वार्ता के पांच राउंड में भारतीय पक्ष पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के अप्रैल से पहले जैसी स्थिति की तत्काल बहाली पर जोर दे रहा है।
आर्मी और डिप्लोमेटिक लेवल की कई राउंड की बातचीत के बावजूद चीन पूर्वी लद्दाख के फिंगर एरिया, देप्सांग और गोगरा इलाकों से पीछे नहीं हट रहा। चीन के सैनिक 3 महीने से फिंगर एरिया में जमे हुए हैं। अब उन्होंने बंकर बनाने और दूसरे अस्थायी निर्माण करने भी शुरू कर दिए हैं।
भारत-चीन के बीच 15 जून को गलवान में हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 40 सैनिक मारे गए, लेकिन उसने यह कबूला नहीं।