पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीमा पर शहीद होने वाले जवानों के परिवार को दी जाने वाली आर्थिक मदद को 10 लाख रुपये से बढ़ा कर 50 लाख कर दिया है। सरकार ने 21 साल पुराने नियम को बदल दिया है। बता दें लद्दाख में गलवन घाटी में चीनी सैनिकाें के साथ झड़प में पंजाब के चार सैनिक शहीद हो गए थे। दो शहीद सैनिकों को वीरवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। आज दो शहीदों का अंतिम संस्कार होगा।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद सैनिकाें के परिवाराें को मिलने वाली सहायता राशि में संशोधन किे बारे में ऐलान किया। अपने फेसबुक पेज एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि अब तक सरकार शहीदों के परिवार में से एक को सरकारी नौकरी व 10 से 12 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देती थी। यह फैसला 1999 में लिया गया था। अब इसमें बदालाव की जरूरत है।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा, ‘अब समय काफी बदल गया है। इसलिए 10 लाख रुपये की मदद बेहद कम है। ऐसे में पंजाब सरकार ने इसमें बढोत्तरी करने का फैसला किया है। अब सीमा पर शहीद होने वाले जवानों के परिवारों को मिलने वाली सहायता राशि को 50 लाख रुपये किया जाता है।’ उन्होंने कहा कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने सहित अन्य सुविधाएं पहले की तरह लागू रहेंगी।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में पंजाब के चार जवान शहीद हो गए थे। संगरूर के जिले के तोलेवाल गुरबिंदर सिंह, गुरदासपुर के गांव भोजराज सतनाम सिंह, पटियाला के गांव सील मनदीप सिंह और मानसा के गुरतेज सिंह शामिल हैं। इनमें संगरूर का जवान गुरबिंदर उम्र में सबसे छोटा थे।
शहीद मनदीप और शहीद सतनाम का वीरवार काे अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया था। शहीद गुरतेज और गुरबिंदर के पार्थिव शरीर आज पहुंचेंगे। उनका सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांवों में किया जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने पूरी तैयारियों की है।
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