इलाहाबाद। गोरखपुर में वर्ष 2007 में दंगा के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने के मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आएगा। इस याचिका पर फैसला 18 दिसंबर को हो गया था, उसके बाद से फैसला सुरक्षित रखा गया था। आज दोपहर में दो बजे इस फैसले का निर्णय सामने आएगा।
गोरखपुर के दंगे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से संबंधित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला दोपहर दो बजे के बाद सुनाएगा। परवेज परवाज की याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एसी शर्मा की खंडपीठ ने लंबी बहस के बाद 18 दिसंबर 2017 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। याचिका में कहा गया है कि गोरखपुर में 2007 में दंगे हुए थे जिसमें तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ सहित अन्य ने दंगा उकसाया था। इस मामले में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से राज्य सरकार ने इन्कार कर दिया है, सरकार के इसी आदेश की वैधता को हाईकोर्ट में परवेज परवाज ने याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। 2008 में मोहम्मद असद हयात और परवेज ने दंगों में एक व्यक्ति की मौत के बाद सीबीआई जांच को लेकर याचिका दाखिल की थी।
गोरखपुर के इस दंगा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट गोरखपुर के उस समय सांसद रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व अन्य के खिलाफ याचिका पर आज अपना फैसला सुनाएगा। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि इस मामले में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एसी शर्मा की खंडपीठ करीब 2.00 बजे अपना फैसला सुना सकती है। इस मामले में प्रदेश सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसकी वैधता को याचिका में चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता असद हयात, परवेज और अन्य की याचिका पर जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एसी शर्मा की पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और एजीए एके संद ने प्रदेश सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया। इसमें लंबी बहस के बाद कोर्ट ने 18 दिसम्बर 2017 को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
गौरतलब है 2008 में मोहम्मद असद हयात और परवेज ने दंगों में एक व्यक्ति की मौत के बाद सीबीआई जांच को लेकर याचिका दाखिल की थी। याचिका में सांसद योगी आदित्यनाथ के भड़काऊ भाषण को दंगे की वजह बताया गया था। जिसके बाद तत्कालीन गोरखपुर सांसद को गिरफ्तार कर 11 दिनों की पोलकी कस्टडी में भी रखा गया था। याचिका में योगी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 153्र, 395 और 295 के तहत जांच की मांग की गई। जिसके बाद केस की जांच सीबी-सीआईडी ने की और 2013 में भड़काऊ भाषण की रिकॉर्डिंग में योगी की आवाज सही पाई। सीबी-सीआईडी ने तत्कालीन सांसद के खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की क्योंकि प्रदेश की अखिलेश सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी।
फरवरी 2017 में सीबी-सीआईडी ने हलफनामे में कहा कि उसे अभी तक यूपी सरकार की तरफ से कोई लिखित आदेश नहीं मिला है। सीबी-सीआईडी ने हलफनामे में कहा कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अगर धारा 153 और 295 के तहत मुकदमा दर्ज होता है तो उसके खिलाफ आरोप तय करने के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक होती है। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने आशंका जाहिर की कि सीबी-सीआईडी इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती, लिहाजा मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।