देश की बड़ी आईटी कंपनियों में शुमार इन्फोसिस में विशाल सिक्का के सीईओ पद से इस्तीफा देने के बाद से कंपनी में आगे भी लोग छोड़ कर जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक कंपनी के संस्थापक नारायण मूर्ति और को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन के ज्यादा हस्तक्षेप से कंपनी को जल्द ही ऐसा सीईओ मिलने की संभावना है जो उनके इशारे पर काम करे। इस क्रम में देश में आधार कार्ड बनाने वाली संस्था यूआईएडीएआई के संस्थापक और इन्फोसिस की स्थापना के वक्त जुड़े नारायण मूर्ति के खास दोस्त नंदन निलेकणी को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
विशाल सिक्का के जाने के बाद इन्फोसिस के नए सीईओ की खोज आसान नहीं होगी। आईटी इंडस्ट्री की जानी-मानी हस्तियों और विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी नए सीईओ के लिए कंपनी की संस्थापकों की निगरानी में काम करना आसान नहीं होगा। इस वजह से कई उम्मीदवार इन्फोसिस के सीईओ पद पर दांव लगाने से हिचकेंगे। इन्फोसिस के बोर्ड ने कहा है कि 31 मार्च तक 2018 तक नई सीईओ की नियुक्ति हो जाएगी।
सीईओ के पद के लिए कंपनी के अंदर और बाहरी, दोनों तरह के उम्मीदवारों की तलाश चल रही है। इंस्टीट्यूट इवेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज का कहना है कि कोई कोई भी उम्मीदवार इस बात से चिंतित होगा उस पर निगरानी रहेगी। सार्वजनिक तौर पर आलोचना उम्मीदवारों को बर्दाश्त नहीं होगा।
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सलाहकार कंपनियों का कहना है कि इन्फोसिस के पूर्व सीईओ और एमडी विशाल सिक्का की नारायणमूर्ति की ओर से सार्वजनिक तौर पर आलोचना के बाद कंपनी के नए सीईओ के लिए बाहरी उम्मीदवार दिलचस्पी दिखाने से हिचकेंगे। ऐसे में कंपनी के अंदर का कोई पुराना शख्स ज्यादा मुफीद साबित होगा। हालांकि कंपनी ऐसे किसी उम्मीदवार को सीईओ प्रतिस्पर्द्धा में पिछड़ने का जोखिम लेकर ही बनाएगी।
इन्फोसिस के संस्थापकों में नारायणमूर्ति पिछले कुछ महीनों से कंपनी के प्रबंधन के मुखर आलोचक रहे हैं। इन्होंने कई बार कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े मुद्दे उठाए। इसके अलावा उन्होंने कंपनी की ओर से 2015 में इस्राइली ऑटोमेशन-टेक कंपनी पनाया का 20 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण पर भी सवाल उठाया था। उन्होंने सिक्का समेत कंपनी के पूर्व सीईओ राजीव बंसल और पूर्व जनरल काउंसल डेविड कैनेडी के सैलरी पैकेज पर भी सवाल उठाया था।
बहरहाल, इन्फोसिस के लिए संभावित सीईओ की तलाश के बीच बाहरी उम्मीदवारों के साथ ही अंतरिम सीईओ प्रवीण राव, सीएफओ रंगनाथ डी मविनकेरे, डिप्टी सीओओ रवि कुमार एस और बैंकिंग, फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सर्विसेज और हेल्थकेयर वर्टिकल के हेड मोहित जोशी इस पद के लिए तगड़े उम्मीदवार माने जा रहे हैं।
पूरे इन्फोसिस प्रकरण ने देश की कंपनियों के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। खास कर आईटी कंपनियों के लिए ये सवाल बेहद अहम हैं। सोम मित्तल, पूर्व प्रेसिडेंट, नैसकॉम
मैं मानता हूं कि इन्फोसिस के लिए नए सीईओ की तलाश अब मुश्किल हो गई है। लेकिन यह भी है अहम है कि बोर्ड और नए सीईओ को कंपनी के अन्य प्रमुख शेयरधारकों की बात सुनें। – प्रमोद भसीन , जेनपैक्ट के पूर्व प्रेसिडेंट और सीईओ
इन्फोसिस को नए सीईओ तलाश करने की प्रक्रिया तेज करनी होगी। उसे यह संदेश देना होगा कि कंपनी में सब कुछ पहले की रफ्तार से चल रहा है। कुछ भी रुका नहीं है। – गणेश नटराजन , प्रमुख- नैसकॉम फाउंडेशन