गरीब और लोअर मीडिल क्लास को मोदी सरकार घर मुहैया करा सकती है। ‘बेनामी’ संपत्तियों की नीलामी कर मोदी सरकार ऐसे लोगों का सपना पूरा कर सकती है।
– सचिवों के समूह ने केंद्र सरकार को सौंपी अपनी सिफारिशों में यह सलाह दी है।
– इसके अलावा मार्च, 2018 तक देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या 10 गुना तक बढ़ाने और जेनेरिक दवाएं न लिखने वाले डॉक्टरों पर पेनल्टी लगाने जैसे सुझाव भी दिए गए हैं।
– बेनामी संपत्तियों को बेचने की सलाह सरकार को ऐसे वक्त पर दी गई है, जब वह काले धन के खिलाफ कदम उठाने में जुटी है।
– केंद्र को दी गई सिफारिश में कहा गया है कि यह खुला तथ्य है कि ब्लैक मनी का बड़ा हिस्सा बेनामी प्रॉपर्टीज की खरीद में निवेश किया जाता है। ऐसी संपत्तियों को बेचकर हासिल की गई रकम को अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में खर्च किया जा सकता है। इससे गरीबों के लिए घर की कीमत कम की जा सकेगी।
– ग्रुप ऑफ सेक्रटरीज ने अपनी सिफारिश में कहा कि 90 फीसदी ब्रैंडेड दवाएं जेनेरिक दवाइयों के मुकाबले 5 गुना तक महंगी मिलती हैं।
– हेल्थ, सेनिटेशन ऐंड अर्बन डिवेलपमेंट से जुड़े समूह ने सरकार को सलाह दी है कि लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जन औषधि स्टोर्स की संख्या को 683 से बढ़ाकर 6,000 तक किया जाना चाहिए। यही नहीं जून तक ई-फार्मेसी पॉलिसी तैयार करने का भी सुझाव दिया गया है।
– सचिवों के समूह की कुछ सिफारिशों पर सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है। जैसे, उर्वरक मंत्रालय ने शहरी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर सिटी कंपोस्ट के लिए ऑपरेशनल गाइडलाइंस जारी की हैं। इनमें नगर निकायों को सीधे तौर पर किसानों को खाद बेचने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा प्रति टन 1,500 रुपये मार्केट डिवेलपमेंट असिस्टेंस भी मुहैया कराई जाएगी। बुधवार को केमिकल ऐंड फर्टिलाइजर्स मिनिस्टर अनंत कुमार ने ऐलान किया कि सरकार ने देश के हर ब्लॉक और ग्राम पंचायत में जन औषधि केंद्र खोलने का फैसला किया है।