मुफलिसी का यह रूप देखकर किसी का भी कलेजा भले ही मुंह को आ जाए। जब वह जीवित थी भोजन का जुगाड़ किसी तरह से होता था, खुद्दारी ऐसी कि किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया।
मौत मिली तो कंधा देने के लिए चार लोग नहीं खड़े हुए। मजबूर पोता दादी के शव को ठेले पर रखकर अपनी बुआ के घर पहुंचा, क्योंकि उसके पास कंधा तो एक ही था।
उसे तीन और कंधों की जरूरत थी। ठेले पर शव लेकर दादी के घर जाते समय उसके मनोभावों को बयां करना मुश्किल है, उसकी तो सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। मामला यूपी के संतकबीर नगर जिले का है।
संत कबीरनगर जिले के पौली ब्लाक के छपरामगर्वी निवासी पोता मंगल कन्नौजिया शुक्रवार को महुली-बस्ती मार्ग के किनारे सगड़वा गांव के निकट दादी रामपति देवी पत्नी दुखरन कन्नौजिया के शव को ठेले पर लादकर अपनों को ढूंढते हुए भटक रहा था।
मंगल ने बताया कि वह दो वर्ष से छितही गांव के सीवान में स्थित एक यूकेलिप्टस की बाग में झुग्गी बनाकर दादी के साथ रहता है। दिन में ठेला चलाने के बाद शाम को खुद ही भोजन बनाता है।
दादी की मौत हो जाने के बाद उनके अंतिम संस्कार में चार कंधों की तलाश ने उसे बुरी तरह तोड़ डाला। अकेले होने के कारण दादी का अंतिम क्रियाकर्म करना मुश्किल था इसलिए मदद के लिए उसे बुआ का घर दिखाई पड़ा।
खानदान के लोगों के मदद की आस टूटी तो वह शव को ठेले पर लादकर महुली-मानपुर मार्ग पर स्थित डड़वा पुरवा स्थित अपनी बुआ नारायण देवी के घर के लिए चल पड़ा।
उनके पिता धूप नारायण कोलकाता से तीन साल से लापता है। चाचा सुग्रीव व राजकुमार दिल्ली में मजदूरी करते हैं। इनके इंतजार में शव को बुआ के घर में रखा गया है। इनके आने पर ही दाह संस्कार क्रिया की जाएगी।