देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं, लेकिन उनमें सर्वाधिक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर।
विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। शिंगणापुर के इस शनि मंदिर में लोहा एवं पत्थर युक्त दिखाई देनेवाली, काले वर्ण की शनिदेव की प्रतिमा लगभग 5 फीट 9 इंच लंबी और एक फीट 6 इंच चौड़ी है जो धूप, ठंड तथा बरसात में दिनरात खुले में है। शनि देव के लिए पांच सूत्र का पालन करने को कहा जाता है ये पांच सूत्र हैं- जीवन के हर्षित पल में शनि की प्रशंसा करनी चाहिए. आपत् काल में भी शनि का दर्शन करना चाहिए, मुश्किल समय में शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. जीवन के हर पल शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना चाहिए।
क्या है शनि देव का महत्व
सूर्य पुत्र शनि देव अति शक्तिशाली माने जाते हैं और इनका इंसान के जीवन में अद्भुत महत्व है. शनि देव मृत्युलोक के ऐसे स्वामी हैं, जो व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर सजा देकर उन्हें सुधरने के लिए प्रेरित करते हैं. आमतौर पर यह धारणा है कि शनि देव मनुष्यों के शत्रु हैं. यह भी मान्यता है कि क्लेश, दुःख, पीड़ा, व्यथा, व्यसन, पराभव आदि शनि की साढ़ेसाती के कारण पैदा होता है।
क्या है शनि की साढ़ेसाती
लोगों में शनि की साढ़ेसाती का बहुत खौफ होता है. साढ़ेसाती यानी सात वर्ष का कालावधि. शनि सभी द्वादश (बारह) राशि घूमने के लिए तीस साल का समय लेता है. यानी एक राशि में शनि ढाई वर्ष रहता है. जब शनि जन्म राशि के बारहवें (जन्मराशि में से द्वितीया में भ्रमण करता है) तब प्रस्तुत परिपूर्ण काल साढ़ेसाती का माना जाता है।
शनि एक राशि में ढाई वर्ष होता है, इस प्रकार तीन राशि में शनि के कुल निवास साढ़ेसाती कहते हैं. यानी ये साढ़ेसात वर्ष काफी तकलीफ, आफत और मुसीबतों का समय होता है. किवदंती के अनुसार वीर राजा विक्रमादित्य भी शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में आये थे, और तभी उनका राजपाठ सब छिन गया था।
शनि महामंत्र
जिस राशि में साढ़ेसाती लगती है उस राशि के जातक को शनि महामंत्र के 23 हजार मंत्रों को साढ़ेसात वर्षों के भीतर करना अनिवार्य है. शनि महामंत्र के जाप 23 दिनों के अंदर पूरा करना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि जातक को शनि महामंत्र जाप एक ही बैठक में नित्य एक ही स्थान पर पूरा करना चाहिए।
महामंत्र हैः
ऊं निलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।।
छाया मार्तंड सम्भूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।
सड़क मार्ग
औरंगाबाद-अहमदनगर राजमार्ग संख्या 60 पर घोड़ेगांव में उतरकर वहां से 5 किलोमीटर पर शनि शिंगणापुर या मनमाड-अहमदनगर राज्यमार्ग संख्या 10 पर राहुरी उतरकर वहां से 32 किलोमीटर पर स्थित शिंगणापुर के लिए बस या शटल सेवा ले सकते हैं।
रेल मार्ग
भारत के किसी भी कोने से यहां आने के लिए रेलवे सेवा का उपयोग भी किया जा सकता है. जिसके लिए श्रद्धालुओं को अहमदनगर, राहुरी, श्रीरामपुर (बेलापुर) उतरकर एस.टी. बस, जीप, टैक्सी सेवा से शिंगणापुर पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु मुंबई, औरंगाबाद या पुणे आकर आगे के लिए बस या टैक्सी सेवा ले सकते हैं।