नोटबंदी का मुद्दा प्रश्नकाल के दौरान राजस्थान विधानसभा में उठा. कांग्रेस विधायक सुखराम बिश्नोई ने नोटबंदी से किसानों को हुए नुकसान के मुआवजे की मांग की.
आपदा राहत मंत्री गुलाबचंद कटारिया जब शीतलहर और ओलावृष्टि से हुए नुकसान के सवाल का जवाब दे रहे थे, तभी सुखराम बिश्नोई ने पूरक सवाल पूछते हुए कहा कि मंत्री जी, शीतलर और पाले से ज्यादा किसानों का नुकसान नोटबंदी ने किया है. इसका मुआवजा कब देंगे.
आपदा राहत मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने बिश्नोई की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि नोटबंदी से किसान और आम आदमी को कोई नुकसान नहीं हुआ. उसका प्रभाव केवल धनवान लोगों पर पड़ा है.
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सदन के बाहर सहकारिता मंत्री अजय सिंह कीलक ने नोटबंदी से किसानों को हुए नुकसान को तो इनकार किया, लेकिन इतना जरूर कहा कि सहकारी बैंकों ने कर्ज वसूलने में ढील दी है. राजपा विधायक किारोड़ीलाल मीणा ने परेशानी की बात मानी लेकिन मुआवजे की मांग को गलत बताया.
वहीं विधानसभा में शून्यकाल शुरु होते ही एसबीसी आरक्षण को लेकर हंगामा हो गया. कांग्रेस विधायक घनश्याम मेहर ने एसबीसी आरक्षण को लेकर प्रदेश के कई इलाकों में धरने प्रदर्शन का मामला उठाने की कोशिश की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कैलाशचन्द्र मेघवाल ने मेहर को बोलने की अनुमति नहीं दी.
अध्यक्ष के इजाजत नहीं देने के बाद घनश्याम मेहर और दर्शन सिंह गुर्जर वेल में आ गए. इस पर सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने कड़ी आपत्ति करते हुए कहा कि एसबीसी आरक्षण का मामला कोर्ट में है और सरकार हर संभव प्रयास कर रही है.
मेहर का कांग्रेस का बाकी विधायकों ने साथ दिया, इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई. कुछ देर नोकझोंक के बाद मेहर वेल से वापस अपनी सीट पर आकर बैठ गए, इसके बाद हंगामा शांत हुआ.
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