गोंडा। उत्तर प्रदेश के किसान आलू की लागत न निकलने से खासे परेशान हैं। कुछ जगह तो हालात यहां तक बिगड़े कि किसानों द्वारा फेंके गए आलुओं से सड़कें पट गईं। निराश किसानों के लिए यह खबर काम की साबित हो सकती है। उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले के तरबगंज निवासी किसान ने आलू की खेती से तीन माह में तीन गुना मुनाफा कमाया। आज उनके खेत का शुगर-फ्री आलू विदेशी रेस्टोरेंट में जायका बढ़ा रहा है। 14 रुपये प्रति किलो कीमत पर उन्होंने अपना आलू थाइलैंड भेजा। यह कीमत सरकारी खरीद मूल्य से ढाई गुना अधिक है।
42 टन आलू थाइलैंड भेजा
परसदा गांव के किसान पार्थ तिवारी की युक्ति काम कर गई। उनके खेतों में तैयार आलू को हाल में थाइलैंड के हिल्टन ग्रुप के होटलों के लिए खरीदा गया है। उन्होंने नीदरलैंड की लेडीरुसेटो नामक प्रजाति का आलू बोया और काठमांडू के व्यापारी के माध्यम से 14 रुपये प्रति किलो के दाम पर 42 टन आलू थाइलैंड भेजा। यह दाम बाजार हस्तक्षेप नीति के तहत केंद्र सरकार द्वारा यूपी के किसानों के लिए घोषित 549 रुपये प्रति क्विंटल से करीब ढाई गुना अधिक है।
तीन गुना मुनाफा
पार्थ के मुताबिक एक किलो आलू तैयार करने में करीब चार रुपये का खर्च आया जबकि उसे 14 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा गया। ट्रांसपोर्ट भाड़ा निकाल दिया जाए तो 8.50 रुपये प्रति किलो का मुनाफा हुआ है।
कारगर है ड्रिप इरिगेशन
ड्रिप इरिगेशन (सिंचाई की पद्धति) सिस्टम व उन्नत बीज से आलू किसानों की तकदीर बदल सकती है। पार्थ कहते हैं, जैसे ही आप यह सिस्टम लगवाते हैं, बीज देने वाली और खरीद करने वाली कंपनियां खुद आप तक पहुंचने लगती हैं और हर सहयोग मुहैया कराती हैं। सिंचाई के साथ इसी सिस्टम से दवा व उर्वरकों का छिड़काव भी हो जाता है और लागत भी कम आती है।
इस सिस्टम के लिए सरकार भी 80 फीसद तक सब्सिडी देती है। पार्थ ने सितंबर माह में 21 एकड़ में बोआई के लिए नीदरलैंड एलआर प्रजाति का बीज क्रय किया था। फसल 90 दिन में तैयार हो गई। एक एकड़ में 12-15 टन आलू का उत्पादन हुआ। इसे काठमांडू (नेपाल) तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पार्थ की थी, जबकि आगे ले जाने के लिए कंपनी ने खुद व्यवस्था कर रखी थी।
यूपी में प्लांट की जरूरत
पार्थ बताते हैं कि गुजरात की कई कंपनियां चिप्स बनाने के लिए आलू खरीदती हैं। हरिद्वार व पश्चिम बंगाल में पेप्सिको, पुणे व बेंगलूर में आइटीसी के प्लांट हैं। यूपी देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, लेकिन यहां प्लांट नहीं है। यदि प्लांट लग जाएं तो आलू किसानों की तकदीर बदल सकती है। इसी तरह ड्रिप इरिगेशन व क्लस्टर बनाकर खेती करने के लिए किसानों को जागरूक करने की जरूरत है।
सीपीआइआइ ने तैयार की आलू की दो नई किस्में
हिमाचल प्रदेश के कुफरी स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआइआइ) ने आलू की दो नई किस्में तैयार की हैं। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता(एंटी ऑक्सीडेंट) के साथ-साथ पैदावार बढ़ाने का गुण है। संस्थान जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी करेगा। पहली किस्म कुफरी नीलकंठ है। हल्के बैंगनी कलर का यह आलू एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है। मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त इस किस्म में बंपर उपज देने की क्षमता है। दूसरी किस्म विशेष रूप से तमिलनाडु के लिए तैयार की गई है। इन नई किस्मों से एक साल में तीन बार फसल मिलेगी।