नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा विदेशी बैंकों में अघोषित आय छिपा कर रखने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई के परिणाम नजर आने लगे हैं। 2011 और 2013 के दो चरणों पर मिली सूचना के आधार पर आयकर विभाग ने अभी तक 13,000 करोड़ रुपए से ज्यादा काले धन का पता लगा लिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, फ्रेंच सरकार द्वारा 2011 में मिली सूचना के आधार पर 400 भारतीयों के खाते जिनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में हैं, जहां से आयकर विभाग ने 8186 करोड़ रुपए की अघोषित आय का खुलासा किया है, जिसे विदेशी खातों के बारे में अभी तक का सबसे बड़ा खुलासा माना जा रहा है। आयकर विभाग की आकलन रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2016 तक ऐसे खाताधारकों से अभी तक 5,377 करोड़ रुपए के टैक्स की मांग की जा चुकी है।
विदेशी बैंको में जमा रुपए पर सरकार ने शुरू की कार्रवाई
एचएसबीसी के मामले में सरकार को 628 बैंक खातों की जानकारी मिल चुकी है। इनमें से कम से कम 213 खाते ऐसे हैं जिन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि इन खातों में या तो पैसे नहीं हैं या फिर ये विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से ताल्लुक रखते हैं। आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, ‘इनमें से कार्रवाई करने के योग्य मामलों में 398 खातों का आंकलन पूरा हो चुका है जिसमें आयकर निपटान आयोग द्वारा तय मामले भी शामिल हैं।’
2013 में वाशिंगटन (अमेरिका) की एक वेबसाइट, इंटरनेशल कंसॉर्शियम ऑफ इनवेस्टिगेशन जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) से मिली जानकारी के आधार पर आयकर अधिकारियों ने 5000 करोड़ की उस अघोषित आय का पता लगाने में सफलता हासिल की है जो विदेशी बैंकों में जमा है और इसका संबध 700 भारतीयों से है।आईसीआईजे वेबसाइट के माध्यम से पकड़ में आए अघोषित धन (काले धन) को लेकर आयकर विभाग अभी तक क्रिमिनल कोर्ट्स में 55 फौजदारी शिकायतें (प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट) दर्ज कर चुका है। केस का आधार सत्यापन प्रक्रिया के दौरान झूठी सूचनाएं देना बताया गया है। जिनेवा मामले में, टैक्स अधिकारियों ने फौजदारी से संबंधित 75 मामलों में जानबूझकर टैक्स न चुकाने के मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है।
फौजदारी अदालतों (क्रिमिनल कोर्ट्स) ने अधिकतर मामलों को संज्ञान में ले लिया है जिससे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कड़ी कार्रवाई शुरू करने का रास्ता साफ हो जाएगा।आयकर विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई भारतीय, जिनके नाम आईसीआईजे की सूची में सामने आए हैं उनमें से कई ने ब्लैक मनी डिक्लेरेशन विंडो स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का खुलासा किया है, जिसे सरकार द्वारा 2015 में एक निश्चित अवधि के लिए शुरू किया गया था।