गुजरात में अंतिम दौर का चुनाव प्रचार खत्म होने और कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने के बाद राहुल गांधी ने पहला इंटरव्यू दिया है. इसमें उन्होंने जहां गुजरात चुनाव पर खुलकर बात की है, वहीं दूसरी तरफ अपनी पार्टी की चुनावी रणनीति को भी बताया है.
राहुल गांधी से जब गुजरात चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव पर सवाल किया गया तो उन्होंने विस्तार से इस पर जवाब दिया. इतना ही नहीं राहुल ने गुजरात में अपने चुनाव प्रचार को लेकर बड़ा खुलासा किया. राहुल ने बताया कि गुजरात जाने से पहले उन्हें कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कहा था कि वो गुजरात में ज्यादा प्रचार न करें.
राहुल ने नहीं मानी पार्टी नेताओं की बात
राहुल गांधी ने नवसृजन गुजरात यात्रा के नाम से सूबे में अपने प्रचार की शुरुआत की थी. उन्होंने प्रचार का आगाज भी इस बार एकदम अलग अंदाज में किया था, क्योंकि वो जनता के बीच जाने से पहले द्वारकाधीश मंदिर गए थे.
राहुल ने बताया कि जब वो गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे थे, तब कांग्रेस नेताओं ने उन्हें एक सलाह दी थी. राहुल ने बताया कि कांग्रेस नेताओं की तरफ से उनसे कहा गया था कि आप गुजरात में ज्यादा प्रचार मत कीजिए. पार्टी नेताओं के इस मशविरे पर राहुल ने कहा कि नहीं, मैं चुनाव प्रचार करूंगा.
राहुल ने पार्टी नेताओं के सुझाव को दरकिनार करने के पीछे गीता का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि गीताजी में लिखा है, काम करो, फल की इच्छा मत करो. राहुल ने बताया कि मैंने गुजरात में दिल से काम किया है. नतीजा चाहे जो भी रहे लेकिन गुजरात के लोगों ने जो प्यार दिया है उसे वो कभी नहीं भूल पाएंगे.
राहुल से जब इंटरव्यू में 2019 लोकसभा चुनाव और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि ये चुनाव मोदी या राहुल गांधी और बीजेपी या कांग्रेस के लिए नहीं है. बल्कि गुजरात की जनता और देश के भविष्य के लिए है.
बता दें कि गुजरात चुनाव की औपचारिक घोषणा के बाद राहुल गांधी ने गुजरात में 30 रैलियां की हैं, जबकि 12 मंदिरों भगवान के दर्शन को गए हैं. इससे पहले भी उन्होंने जमकर चुनाव प्रचार किया है. राहुल ने कांग्रेस पार्टी नेताओं की सलाह ठुकराकर जमकर भले ही गुजरात में जमकर चुनाव प्रचार किया हो, लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर राहुल को गुजरात में ज्यादा प्रचार न करने की सलाह कांग्रेस नेताओं क्यों दी?