राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार को कहा कि जनजातीय समुदाय की जीवनशैली वैश्विक समस्या जलवायु परिवर्तन का समाधान प्रदान करती है। उन्होंने उनके पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करने की अपील की है।
सामंजस्य के साथ रहना सीखने की आवश्यकता पर दियो जोर
राष्ट्रपति ने जनजातीय समुदायों से प्रकृति के साथ सामंजस्य के साथ रहना सीखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह बात ऐसे समय में कही है जब आधुनिकीकरण की दौड़ ने पृथ्वी और उसके प्राकृतिक संसाधनों को काफी नुकसान पहुंचाया गया है।
राष्ट्रपति ने किया आदि महोत्सव का उद्घाटन
राष्ट्रपति ने यहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आदि महोत्सव का उद्घाटन करने के बाद कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए जनजातीय समुदाय की जीवनशैली को अपनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। आज जब पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में जनजातीय समुदाय की जीवनशैली और भी अनुकरणीय हो जाती है।
प्रौद्योगिकी निभा सकती है महत्वपूर्ण भूमिका
राष्ट्रपति ने पारंपरिक ज्ञान के धीरे-धीरे विलुप्त होने पर चिंता व्यक्त की और इसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में प्रौद्योगिकी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जनजातीय समुदाय नई तकनीक से लाभान्वित हो सकते हैं और तकनीक का इस्तेमाल सतत विकास के लिए किया जाना चाहिए। इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की जनजातीय विरासत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करना है और यह 18 फरवरी तक चलेगा।