गोस्वामी तुलसीदास के जरिए रचा गया महाकाव्य है रामचरितमानस. इसके चमत्कारी दोहों में शिव कृपा का ज्ञान छिपा है. कहते हैं इन दोहों के पाठ करने मात्र से जीवन विपत्तियों से मुक्त होने लगता है.
गोस्वामी तुलसीदास ने इस महाकाव्य को सात भागों में बांटा है- बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किन्धाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड. रामचरितमानस के हर कांड का अलग ही महत्व है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस महाकाव्य में तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रभु श्रीराम के इस भव्य जीवनदर्शन से महादेव का भी गहरा रिश्ता है.
रामचरितमानस के दोहों से कैसे बरसेगी भोलेनाथ की कृपा….आइए जानते हैं-
पहला श्लोक
– पहला श्लोक है – “वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु , शंकर रूपिणम | यमाश्रितो हि वक्रोपि , चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते||”
– इस श्लोक में शिव जी को गुरु रूप में प्रणाम करके उनकी महिमा बताई गई है
– कोई भी पूजा उपासना करने के पहले इस श्लोक को पढ़ लेना चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण फल मिल सके
– अगर पूजा में कोई समस्या आ जाय तो शिव कृपा से वो समाप्त हो जाती है
दूसरा दोहा
– दूसरा दोहा है – “महामंत्र जोई जपत महेसू , कासी मुकुति हेतु उपदेसू |”
– जब भी आप मंत्र जाप करना या सिद्ध करना चाहते हों उसके पहले यह दोहा पढ़ना चाहिए
– शिव जी की कृपा से तुरंत ही मंत्र सिद्ध भी होता है और प्रभावशाली भी
तीसरा दोहा
– तीसरा दोहा है – “संभु सहज समरथ भगवाना , एही बिबाह सब विधि कल्याणा |”
– जब संतान के दाम्पत्य जीवन में समस्या आ रही हो तब इस दोहे का प्रभाव अचूक होता है
– रोज सुबह शिव जी के सामने इस दोहे का १०८ बार जाप करें फिर अपने संतान के सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें
चौथा दोहा
– चौथा दोहा है – “जो तप करे कुमारी तुम्हारी , भावी मेटी सकही त्रिपुरारी |”
– अगर जीवन में ग्रहों या किस्मत की वजह से कुछ भी न हो पा रहा हो तो यह दोहा बहुत लाभकारी है
– चारों वेला में इस दोहे को कम से कम १०८ बार पढ़ने से भाग्य का चक्र भी बदल सकता है
– लेकिन ध्यान रहे कि कोई ऐसी कामना न करें जो गलत हो
पांचवा दोहा
– पांचवा दोहा है “तव सिव तीसर नयन उघारा , चितवत कामु भयऊ जरि छारा |”
– अगर मन भटकता हो और बहुत चंचल हो तो ये दोहा आपके लिए लाभकारी होगा
– जो लोग काम भावना से परेशान हों उनके लिए ये दोहा बहुत प्रभावशाली है
छठवां दोहा
– छठवां दोहा है – “पाणिग्रहण जब कीन्ह महेसा , हिय हरसे तब सकल सुरेसा |
वेद मंत्र मुनिवर उच्चरहीं , जय जय जय संकर सुर करहीं ||”
– अगर विवाह होने में बाधा आ रही हो तो इस दोहे का जाप बहुत शुभ फल देता है
-सुबह शिव और पार्वती के सामने इस दोहे का जाप करने से जल्दी और सुखद विवाह होता है
सातवाँ दोहा
– सातवाँ दोहा है – “बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी , त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी |”
– अगर धन से जुड़ी समस्याएं ज्यादा हों या रोजगार की समस्या हो तो इस दोहे का जाप करना चाहिए
-सुबह और रात के समय भगवान शिव के सामने कम से कम १०८ बार इस दोहे का जाप करना चाहिए
आठवां दोहा
– आठवां दोहा शिव जी के द्वारा की गई श्री राम की स्तुति है
– ये उत्तरकाण्ड में छन्द के रूप में लिखा गया है
– केवल यही स्तुति रोज सुबह सच्ची भावना से करें तो जीवन की तमाम समस्याएं मिट जाती हैं
– ये स्तुति करने से दुर्घटनाओं , अपयश और मुकदमों से रक्षा होती है