नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर लगाए गए आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताया और दावा किया कि विपक्ष के ‘भ्रामक बयान’ से ‘गंभीर क्षति’ हुई है. सरकार ने बुधवार को जारी अपने बयान में कहा कि समझौते के तहत राफेल लड़ाकू विमान की कीमत को उजागर करना ‘अव्यावहारिक’ है.
राहुल ने लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप
सरकार की ओर से यह प्रतिक्रिया कांग्रेस सदस्यों द्वारा लोकसभा में प्रधानमंत्री के भाषण के वक्त विरोध करने के बाद आई है. कांग्रेस सदस्य प्रदर्शन के दौरान अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए थे, जिसपर इस सौदे पर सवाल उठाए गए थे और प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की गई थी. इससे पहले संसद भवन के बाहर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और सरकार से इसकी जानकारी लोगों के समक्ष सार्वजनिक करने की मांग की थी.
पहले इंकार, फिर जारी किया बयान
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने हालांकि सोमवार को बताया था कि अंतरसरकारी समझौते के तहत सौदे की जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह ‘गोपनीय सूचना’ है. सरकार ने बुधवार को बयान में कहा, “फ्रांस से फ्लाई-अवे स्थिति में 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए वर्ष 2016 के अंतर-सरकारी समझौते (आईजीए) पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं.”
बयान के अनुसार, “राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार के अंतर्गत यह सौदा क्षमता, मूल्य, सामग्री, वितरण, रखरखाव, प्रशिक्षण की बेहतर शर्तों पर किया गया है, जबकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार 10 वर्षो में इस सौदे को अमलीजामा नहीं पहना सकी थी. मौजूदा सरकार ने इस सौदे को केवल एक वर्ष में पूरा किया, जोकि पूरे नियम व प्रक्रिया के साथ किया गया है।”