जैसा कि आप जानते हैं रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है और पहला आज यानि 7 मई को है. यह बहुत ही पाक महीना होता है जिसमे. लोगों को इस महीने में अल्लाह के करीब जाने का मौका मिलता है. यह महीना हर मुसलमान के लिए बहुत मायने रखता है. ये इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है. इस्लाम धर्म के लोगों का मानना है कि रमजान के महीने में जन्नत यानी स्वर्ग के दरवाजें खुल जाते हैं और इस पवित्र महीने में हर दुआ पूरी होती है. इसमें सिर्फ रोज़ा रखना ही सब कुछ नहीं होता बल्कि बहुत सी बातों का ध्यान देना पड़ता है.
रमजान 1 महीने नहीं बल्कि पूरे साल तक रहें. जानकारी दे दें, इस्लाम में 7 सात साल की उम्र के बाद से हर एक इंसान के लिए रोजा रखना जरूरी माना जाता है. वहीं 7 साल की उम्र से छोटे बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं, बीमार और सफर करने वाले लोगों को रोजा रखने की छूट दी गई है. इसी के साथ आपको बता दें, कि हर बार रमजान के महीने में कई लोगों के मन ये सवाल जरूर आता है कि आखिर रोजा किन चीजों से टूटता है और किन चीजों से नहीं.
अगर आपको भी ये समस्या है तो आपको इसे उत्तर दे दें, पहले बता दें, रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखा प्यासा रहना ही होता है. रोजे का मतलब सिर्फ खाने पीने की चीजों से दूरी बनाना नहीं होता है, बल्कि रोजा रखने के बाद इंसान को हर उस काम से दूर रहना पड़ता है, जो इस्लाम धर्म में मना की गई हैं. खाने पीने की चीजों से दूरी बनाने के साथ आंख, नाक, कान, मुंह सभी चीजों का रोजा होता है. इसका मतलब ये है कि रोजा रखने के बाद इंसान ना तो किसी की बुराई कर सकता है और ना ही किसी का दिल दुखा सकता है. इसी से वो पाक बनते हैं. कई लोग रोजा रखने के बाद भूले से कुछ खा-पी लेते हैं और इस डर से वो रोजा तोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि भूले से खाने के बाद उनका रोजा टूट गया है. लेकिन ऐसा नहीं है. रोजे के दौरान अगर कोई इंसान अनजाने में कुछ खा-पी लेता है, तो इससे रोजा नहीं टूटता है. इस्लामिक धर्म गुरु का मानना है कि अगर गलती से रोजा रखकर आप कुछ खा-पी लेते हैं तो आपको अपना रोजा पूरा करना चाहिए.