धर्मस्थलों से लाउड स्पीकर हटाने के मामले में प्रदेश सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रही है। हाईकोर्ट के आदेश पर गृह विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सात बिंदुओं पर जो हलफनामा प्रस्तुत किया, उसमें कई संदेह और अस्पष्टताएं हैं। इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह और बोर्ड के अध्यक्ष को 13 फरवरी को तलब किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने याचिका दायर कर कहा था कि उत्तर प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए सरकारी नियमावली और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का पालन नहीं किया जा रहा है। इसका नुकसान आम नागरिक भोग रहे हैं। पढ़ने वाले और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थी, बीमार व बुजुर्ग नागरिक धर्म स्थलों पर लगे लाउड स्पीकरों से उठने वाले शोर से न केवल परेशान हैं, बल्कि शोर की वजह से नागरिकों की सुनने की क्षमता और संवेदनाओं पर भी असर पड़ता है।
ऐसे में मंदिर, मस्जिदों, चर्च, गुरुद्वारे आदि धर्मस्थलों से लाउड स्पीकर हटाने के लिए सरकार को निर्देश जारी किए जाएं। भविष्य में भी इनका उपयोग बैन करवाया जाए। इसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण में सरकारी अधिकारियों को नाकाम बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट ने कई आदेश दिए पर कोई कदम नहीं उठाए गए।
इसके बाद हाईकोर्ट ने इसे सरकारी अधिकारियों की अकर्मण्यता और गैर जवाबदेही मानते हुए 20 दिसंबर 2017 को प्रमुख सचिव गृह और यूपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन को सात बिंदुओं में व्यक्तिगत हलफनामों पर जवाब मांगे थे। अब जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अब्दुल मोईन ने दोनों अधिकारियों को 13 फरवरी को तलब किया है। इस दौरान वे कोर्ट में उपस्थित रहेंगे और अपने हलफनामों में मौजूद अस्पष्टताओं और संदेहों को स्पष्ट करेंगे।
यह जवाब देना था
– ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियमावली लागू करने के लिए यूपी सरकार ने क्या सख्ती की?
– धर्म स्थलों पर क्या प्रशासन की लिखित अनुमति लेकर लाउड स्पीकर लगाए गए हैं? अगर नहीं तो सरकार इन्हें हटाने के लिए क्या कर रही है?
– धर्म स्थलों पर बिना लिखित अनुमति लाउड स्पीकर लगने देने वाले अधिकारियों पर क्या एक्शन लिया गया?
– जो अधिकारी नियमावली लागू करवाने में विफल रहे, उनकी जवाबदेही कैसे तय हो?
– प्रदेश में अब तक बिना अनुमति लगे कितने लाउडस्पीकर धर्म स्थलों से हटाकर नष्ट किए गए?
– दिन-रात शोर-शराबे के साथ निकाले जा रहे धार्मिक जुलूसों, यात्राओं व बारातों पर क्या कार्रवाई की?
– ध्वनि प्रदूषण की शिकायतें सरकार कैसे स्वीकार कर रही है?