यूपी पुलिस (UP Police) की कार्रवाई का खौफ बदमाशों में कितना है इसका एक नज़ारा आगरा (Agra) में देखने को मिला. पिछले दिनों हुए बस हाईजैक (Agra Bus Hijack) के मामले में वांछित दो आरोपी खुद पुलिस के डर से थाने में सरेंडर करने पहुंच गए. हाथ में पोस्टर लेकर दोनों आरोपी सरेंडर करने पहुंच गए. दरअसल, थाना मलपुरा इलाके में एक बस को हाईजैक कर लिया गया था. उसके बाद पुलिस ने बस को बरामद भी कर लिया.
बस हाईजैक मामले में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपी बनाया है. 12 आरोपियों में से कई को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया था. बचे हुए आरोपियों की तलाश में पुलिस लगातार दबिशें दे रही थी.
पुलिस की कार्यवाई से खौफ खाकर दो आरोपी मनोज और सूरज हाथ मे पोस्टर लेकर थाने पहुंच गए. दोनों के हाथों पोस्टर पर लिखा था कि वो बेकसूर हैं और थाने में सरेंडर करने के लिए आये हैं.
पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और कार्रवाही शुरू कर दी है. गौरतलब है कि बस हाईजैक मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी प्रदीप गुप्ता को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था. प्रदीप गुप्ता को पैर में गोलिलागी थी.
पुलिस ने इटावा के बलराय थाना क्षेत्र के एक ढाबे के पीछे से अगवा खाली बस (UP75 M 3516) को बरामद कर लिया था. दरअसल, आगरा में बुधवार को 34 सवारियों से भरी एक बस को हाईजैक कर लिया गया. इस घटना ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दी. शुरुआत में पता चला कि बस को श्रीराम फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी ले गए, क्योंकि किश्तों का भुगतान नहीं किया गया था. लेकिन, बाद में कहानी कुछ और ही निकली. इस पूरी घटना का मास्टमाइंड आगरा ग्रामीण इलाके के रहने वाले प्रदीप गुप्ता निकला. इस पूरे केस में एक नया एंगल सामने आया. पूरा मामला पैसों के लेनदेन को लेकर बताया जा रहा है. बस मालिक अशोक अरोड़ा और प्रदीप गुप्ता के बीच लेनदेन का विवाद चल रहा था. इसी के चलते बदमाशों ने फाइनेंस कंपनी की कहानी गढ़ी थी. वहीं, एसएसपी आगरा ने बगैर तस्दीक़ किए फाइनेंस कंपनी की थ्योरी पर मुहर भी लगा दी.