पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने से खास बातचीत में कहा कि जिस तरीके से जय शाह की कंपनी को लेकर केंद्र सरकार के मंत्री पीयूष गोयल बचाव करते दिखे, वो कहीं से भी उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था कि पीयूष गोयल मंत्री की हैसियत से नहीं, बल्कि उस कंपनी के चार्टर अकाउंटेंट की हैसियत से बयान दे रहे हैं.
यशवंत सिंन्हा ने कहा कि जय शाह की कंपनी टेंपल इन्टरप्राइजे लिमिटेड में क्या गड़बड़ी हुई या नहीं, ये तो जांच के बाद पता चलेगा, लेकिन पीयूष गोयल के साथ-साथ यूपी के एक मंत्री और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल जिस तरह से कंपनी के पक्ष में खड़े हैं, उससे जरूर उनको धक्का लगा है. उन्होंने कहा कि इससे बीजेपी की उस छवि को भी धक्का लगा, जो ऊंचे नैतिक मूल्यों की बात करती है.
नागरिक के बचाव में मंत्री
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का कहना है कि जय शाह की कंपनी का किससे लेन-देने हुआ, उसका उन्हें उतना ही पता है जितना वेबसाइट में छपा था. लेकिन मुद्दा ये है कि एक नागरिक के बचाव में जिस तरह से केंद्रीय मंत्री सामने आते हैं, वह चिन्ता का विषय है. उन्होंने कहा कि हो सकता है उस कारोबार में कोई गड़बड़ी नहीं हो, लेकिन जय शाह खुद व्यापारी हैं और वह अपना बचाव खुद कर सकते हैं.
सिन्हा ने ये भी कहा कि जय शाह ने क्रिमिनल डिफेमेशन केस किया है, उसका बचाव एडिशनल सॉलिसिटर जनरल करेंगे और यह भी पता चलता है कि स्टोरी 8 अक्टूबर को पब्लिश होती है और सरकार ने उन्हें 6 तारीख को ही केस में शामिल होने की अनुमित दे दी थी. सरकार के कानून अधिकारी होकर वो कैसे यह केस लड़ सकते हैं. यशवंत सिन्हा ने सवाल उठाया सॉलिसिटर जनरल ने पद का दुरुपयोग करने के बावजूद इस्तीफा भी नहीं दिया है.
परंपरा बना मानहानि का मुकदमा
जय शाह की कंपनी के मुद्दे पर यशवंत सिन्हा का कहना है कि मीडिया पर 100 करोड़ का केस करना कहीं से भी उचित नहीं है. हमारे खिलाफ भी मीडिया लिखती रही है, कभी केस नहीं किया. हम जिन नेताओं के साथ काम कर चुके हैं उन्होंने भी कभी ऐसा नहीं किया. जनता तय करेगी कि कौन सही है, कौन गलत है. अब एक नई परंपरा चल पड़ी है कि मानहानि का मुकदमा ठोक दो , वो भी सौ करोड़. इज्जत तो एक रुपये में भी इज्जत ही रह सकती है. उन्होंने कहा जो वेबसाइट चंदे के पैसे से चलती है, उस पर इतना बड़ा मुकदमा समझ से परे हैं.
कहां गया नैतिकता का स्तर!
मामले की जांच के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि मुझे आश्चर्य हुआ कि जब सरकार की तरफ से बयान आया कि हम जांच नहीं करवाएंगे और किसी जांच की जरूरत नहीं है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि इसका मतलब ये है कि हम ही जज हैं हम ही सबकुछ हैं. उन्होंने कहा कि हम सब सार्वजनिक जीवन में है, हमारी गतिविधियों को जनता देखती है सुनती-समझती है. हर किसी विषय को पब्लिकली हैंडल करना चाहिए. इसलिए मुझे लगा कि जिस ऊंचे नैतिकता के स्तर की बात बीजेपी करती है अब शायद उस ऊंचे स्तर से बात नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा कि अगर कंपनी की जांच होती तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता.
शाह के इस्तीफे पर कहा…
यशवंत सिन्हा ने अमित शाह से सीधे इस्तीफे की मांग तो नहीं की, लेकिन उन्होंने कहा कि वहां तक नहीं जाएंगे क्योंकि इसमें अभी तक कोई जांच हुई नहीं है. यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि नैतिकता के आधार पर वह इस्तीफा देता है या नहीं. लालकृष्ण आडवाणी ने हवाला मामले में नाम आने भर पर इस्तीफा दे दिया था, तब कोर्ट का फैसला भी नहीं आया था. ये विवेक पर निर्भर करता है, मैंने पार्टी से झगड़ा करके इस मामले में बिहार विधानसभा से इस्तीफा दिया था, ये मेरे विवेक पर था. पार्टी का निर्णय था कि हवाला मामले में आडवाणी जी के अलावे और कोई इस्तीफा नहीं देगा, लेकिन मैंने अपने विवेक से इस्तीफा दिया. सिन्हा ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री का यह बयान नहीं भी होता कि ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ तब भी इस पूरे मामले में पार्दशिता बरतते हुए इसकी जांच होनी चाहिए थी.