हर इंसान रोज किसी न किसी तकलीफ और गम से गुजरता है। जिंदगी भर खुशी किसी को नहीं मिलती। दिल टूट जाने का गम सबसे बड़ा होता होता है। इस तकलीफ को चाह कर भी कोई मिटा नहीं पाता। 1927 में ऐसा ही कुछ ऐसा ही हुआ।

उस दिन के बाद उसे किसी ने नहीं देखा। फेथ उसका तीन दिन तक अपने कमरे में इंतज़ार करती रही। उसके बाद जब तकलीफ सारी हदें पार कर गई, तो फेथ ने फांसी का फंदा लगाकर अपनी जान ले ली। उस डरावने दिन से लेकर आज तक फेथी की भटकती आत्मा इस होटल में भटक रही है। वो चाह कर भी इस होटल को छोड़ नहीं पाती. होटल में आने वाले अनेक मेहमानों और होटल स्टाफ ने कई बार उसे होटल के गलियारों में भटकते हुए देखा है। आज भी लोगों को कमरा नंबर 426 में उस कमरे में मौजूद सूने पलंग के किनारे उसके रोने की आवाजें सुनाई देती हैं।
जब भी कोई औरत इस कमरे में रहने आती है, तो फेथ अपना प्यार जताते हुए उनके पैरों की मसाज कर उन्हें आराम देती है। पर जब भी कोई मर्द इस कमरे में रहने आता है, तो उसे रात को डरावने सपने आते हैं। मर्दों को यहां के माहौल में अज़ीब-सी खुशबू का एहसास होता है। कुछ दिन पहले यहां एक लड़का ठहरने आया था, रात को जब वह सो रहा था, तो उसे कमरे में किसी के होने का एहसास हुआ लेकिन वहां कोई नहीं था। तभी उसे लगा जैसे किसी ने उसे पास आकर गले लगाया। यहां अकसर बाथरूम में रात को जो टूथब्रश रखे होते हैं, वो सुबह गायब मिलते हैं।
