राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि समाज से जाति- लिंग भेदभाव समाप्त करने के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत है। आरएसएस की विज्ञप्ति के मुताबिक भागवत ने कहा कि सज्जन शक्ति को संगठित किया जाना चाहिए और सद्भाव पारिवारिक शिक्षा अनुष्ठानों का पालन पर्यावरण संरक्षण स्वदेशी मूल्यों की जागृति और नागरिक कर्तव्यों की शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के लिए सक्रिय किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि समाज से जाति और लिंग भेदभाव समाप्त करने के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत है।
आरएसएस प्रमुख अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे के दूसरे दिन रविवार को वडोदरा में बुद्धिजीवियों की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। शनिवार को उन्होंने दक्षिण गुजरात के भरूच में एक ऐसे ही कार्यक्रम में भाग लिया था।
नोबल पावर को संगठित किया जाना चाहिए
आरएसएस की विज्ञप्ति के मुताबिक, भागवत ने कहा कि सज्जन शक्ति (नोबल पावर) को संगठित किया जाना चाहिए और सद्भाव, पारिवारिक शिक्षा, अनुष्ठानों का पालन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी मूल्यों की जागृति और नागरिक कर्तव्यों की शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के लिए सक्रिय किया जाना चाहिए।
विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया है कि समाज में जाति और लिंग भेद को खत्म करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की दरकार है और सज्जन शक्ति का नेटवर्क बनाने के लिए विशेष प्रयोग किए जाने चाहिए।
समस्याओं को हल करना हमारी परंपरा
इस अवसर पर आरएसएस के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति और परंपरा के वाहक होने के नाते आध्यात्मिकता, शिक्षा, कला और औद्योगिक शक्ति के माध्यम से समय-समय पर समाज में उत्पन्न होने वाली समस्याओं को हल करना हमारी परंपरा रही है। बैठक के दौरान स्वास्थ्य, पर्यावरण, कला, साहित्य और सामाजिक परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले अनेक लोगों ने अपनी परियोजनाओं के बारे में अपने विचार रखे।