अपनी आगामी फिल्म ‘मुक्केबाज’ में मुक्केबाजी जैसे खेलों में प्रोत्साहन व सहायता नहीं मिलने जैसी समस्याओं को दर्शाने का प्रयास करने वाले फिल्मकार अनुराग कश्यप का कहना है कि उनकी फिल्म की प्रेरणा शक्ति वास्तविकता के करीब है. अनुराग ने यहां कहा, “हमारे देश में कई खेलों में खासकर मुक्केबाजी जैसे खेलों में किसी की सरपरस्ती नहीं मिलती.”
उन्होंने कहा, “यहां तक कि मैंने यूनिविर्सिटी लेवल तक खेला है. मेरे भाई एक बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं, मेरे पिता ने एक कोच के रूप में काम किया और कई प्रतिभाओं का मार्गदर्शन किया, लेकिन मेरे किशोरावस्था के दौरान खेल को करियर के रूप में अपनाने को लेकर कोई प्रोत्साहन नहीं था. हमारे देश में हम जिन चैम्पियन को देखते हैं, वे सब अपने जुनून के दम पर हैं. हमारा प्रशासन इसमें कोई सहायता नहीं करता.” फिल्मकार ने कहा कि सिर्फ यह ऐसा देश है, जहां टूर्नामेंट के दौरान प्रशासन के लोग बिजनेस क्लास में यात्रा करते हैं, जबकि खिलाड़ी इकॉनोमी क्लास में यात्रा करते हैं. फिल्म ‘मुक्केबाज’ 12 जनवरी को रिलीज होने जा रही है.
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