कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम सैयद मोहम्मद नूरुर्रहमान बरकती ने पीएम मोदी के खिलाफ फतवा जारी किया था। फतवा देने वाले मौलाना के खिलाफ पहले तो भाजपा और हिन्दू संगठन लामबंद हुए, अब शाही इमाम बड़ी मुश्किल में पड़ गए हैं।
बीते दिनों नोटबंदी के विरोध में इमाम बरकती ने पीएम मोदी के खिलाफ फतवा जारी किया गया था। बरकती के जारी किए वीडियो में सैयद मोहम्मद नूरुर्रहमान बरकती पीएम मोदी के बारे के लिए बेहद अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था।
इसमें इमाम बरकती कह रहे हैं कि मोदी ने देश को नोटबंदी के नाम पर बेवकूफ़ बनाया है और लोग अब उन्हें प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि ममता बनर्जी देश की प्रधानमंत्री बने।
वहीं यह फतवा जारी करने के बाद शाही इमाम के खिलाफ कई मुस्लिम संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। शाही इमाम बरकती के खिलाफ मुंबई के मदरसा-दारुल-उलूम अली हसन सुन्नत के मुफ्ती मंजर हसन खान अशरफी मिस्बही ने फतवा जारी कर दिया है।
बरकती के फतवे को सिरे से खारिज करते हुए मुफ्ती मंजर हसन खान ने उनके नमाज अदा कराने के हक पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “ऐसे बयानों को फतवा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इससे समाज की शांति को खतरा पैदा होता है। यह उनकी व्यक्तिगत और राजनीतिक राय है और शरीयत इसका समर्थन नहीं करता है।”
मिस्बही द्वारा फतवा जारी करने पर बरकती ने पलटवार करते हुए कहा कि “मिस्बही कौन हैं? मैंने इससे पहले कभी उनका नाम नहीं सुना। मुझे नहीं लगता कि उनकी बातों पर किसी को ध्यान देना चाहिए।”
इसके अलावा बरकती अपने विवादित फतवे पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि मैं अपने बयान पर कायम रहूंगा जो मैंने समाज की भलाई के लिए दिया है।
गौरतलब है बीते दिनों बरकती ने फतवा जारी करते हुए कहा था कि पीएम मोदी की दाढ़ी काटने वाले को या उन पर काली स्याही फेंकने वाले को 25 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।