क्या कभी आपने 100 करोड़ का नोट भी देखा है। 1993 में युगोस्लोवाकिया ने मुद्रास्फीति के दौर में 100, 50 और 10 करोड़ के नोट भी जारी किए थे, जिन्हें वहां दिनारा कहा जाता था।
आज इन नोटों की भले ही कुछ भी नहीं हो पर जिस वक्त ये नोट जारी हुए थे तब युगोस्लोवाकिया का हर व्यक्ति करोड़पति तो बन ही गया था। 2003 के पहले तक यहां की मुद्रा दिनार रही, जिसके बाद यूरो प्रचलित हो गया। ऐसा ही एक 100 करोड़ का नोट इंदौर में शुक्रवार से शुरू हुए मुद्रा उत्सव में प्रदर्शित किया गया। देवी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में जो सिक्के जारी हुए थे उन पर शिवलिंग और बिल्वपत्र के अलावा उर्दू में लिखा रहता था। जब शिवाजीराव होलकर का शासन था तब सिक्कों पर उनका नाम और सूर्य को अंकित किया गया, पर जब यशवंतराव होलकर ने सत्ता संभाली तब का सिक्का बहुत कुछ आज की मुद्रा के अनुरूप था। गोलाकार इस सिक्के पर उनकी छवि हूबहू अंकित थी और कीमत के साथ सन् भी लिखा गया। यह वह दौर था जब मुद्रा का स्वरूप और मायने बहुत हद तक बदल चुके थे। उन पर ब्रिटिश हुकुमत का अक्स भी नजर आने लगा था। मुद्रा संग्रहक सतीष भार्गव के इस मुद्रा संग्रह के समान ही कई ऐसी जानकारियां हैं, जो इतिहास के पन्नों को धातु के छोटे-छोटे सिक्कों पर समेटे हुए हैं।
नागपुर के मुद्रा संग्रहक राहुल चांडक का कलेक्शन यहां खासा आकर्षित कर रहा है। इन्होंने वर्तमान में जारी 10 के नोटों का कलेक्शन कुछ इस तरह से किया है कि वह जन्मतिथि के अनुरूप प्राप्त किया जा सकता है। इस पूरे आयोजन को दिलचस्प के साथ सूचनापरख बना रहा है मिन्टेज वर्ड का कॉर्नर। जहां मुद्रा से संबंधित जानकारियों का आदान-प्रदान किया जा रहा है। सिक्के, नोट आदि से जुड़ी तमाम जानकारियों को यहां विशेषज्ञ साझा कर रहे हैं। इंदौर क्वाइन सोसायटी के अध्यक्ष गिरीश शर्मा ने बताया कि आयोजन के दूसरे दिन शनिवार को यहां 14 से 30 वर्ष तक के मुद्रा संग्रहकों का सम्मान किया जाएगा।