मौसम में बदलाव होने से अक्सर लोगों की तबीयत खराब हो जाती है और काफी सामान्य भी है। लेकिन कुछ लोगों ऐसे भी हैं जिन्हें बदलते मौसम के चलते माइग्रेन ट्रिगर करने लगता है। कई माइग्रेन पीड़ितों का कहना है कि तापमान, ह्यूमिडिटी, बैरोमेट्रिक दबाव और अन्य मौसम संबंधी कारकों में परिवर्तन होते ही उनमें सिरदर्द शुरू हो जाता है। हालांकि, मौसम से संबंधित माइग्रेन ट्रिगर्स के पीछे सटीक कारण को लेकर अभी तक कोई ठोस अध्ययन नहीं है। यह दिक्कत एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं।
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कुछ अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि बैरोमीटर के दबाव और तापमान में परिवर्तन से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में परिवर्तन हो सकता है, जिससे माइग्रेन हो सकता है। अन्य अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि कुछ न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्तर में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जिनसे आप मौसम संबंधी माइग्रेन को रोकने में मदद पा सकते हैं।
मौसम संबंधी माइग्रेन को रोकने के टिप्स-
स्ट्रेस मैनेजमेंट: तनाव माइग्रेन को बढ़ाने के आम कारकों में से एक है। इसलिए स्ट्रेस मैनेज के तकनीकों का अभ्यास करें, जैसे कि योग, ध्यान या गहरी सांस लेने के व्यायाम करने से माइग्रेन से राहत मिल सकती है।
सनग्लासेज पहनें: धूप का चश्मा पहनें तेज धूप कुछ लोगों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है। चमकदार रोशनी सीधे आंखों को प्रभावित करते हैं जिसके जोखिम को कम करने के लिए धूप का चश्मा या चौड़ी टोपी पहनने से राहत मिल सकती है।
माइग्रेन का रिकॉर्ड रखें: आपको जब माइग्रेन ट्रिगर करे आप उस मौसम की स्थिति पर नज़र रखें। यह आपको ट्रिगर्स की पहचान करने और निवारक उपाय करने में मदद कर सकता है।
हाइड्रेटेड रहें: शरीर में पानी की कमी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है, इसलिए खूब पानी पीना सुनिश्चित करें, खासकर गर्म और ह्यूमिडी वाले मौसम में।
नियमित नींद लें: मौसम में बदलाव नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है, जिससे माइग्रेन की समस्या हो सकती है। सुनिश्चित करें कि आप हर रात पर्याप्त नींद लें। हर रात नियमित रूप से अच्छी नींद लेने से आपके संपूर्ण स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा।