नई दिल्ली: नोटबंदी के चलते बाबुओं ने सरकार से नकद वेतन मांगा है। नागपुर सत्र में खर्च करने के लिए भी उन्होंने सरकार से नकद धनराशि की मांग की है। इस संबंध में राज्य सरकारी कर्मचारियों के संगठन महाराष्ट्र स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लॉइज सेंट्रल फेडरेशन के महामंत्री सुभाष गांगुर्डे ने फडणवीस सरकार से मांग की है कि उन्हें कम से एक माह का वेतन नकद दिया जाए। इसके अलावा नागपुर के शीतकालीन सत्र में जाने वाले कर्मचारियों को भी नकद पैसा मुहैया कराए जाए।
सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन सीधे बैंक में जाता है। नोटबंदी के बाद बैंक से पैसा निकालना किसी चुनौती से कम नहीं रहा। घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी महज एक से दो हजार रुपये ही मिल पा रहे हैं। एटीएम का भी हाल बुरा है। अब सरकारी बाबू पैसा लेने के लिए कतार लागाए या फिर नागपुर जाने की तैयारी के लिए मंत्रालय में ड्यूटी करें। महाराष्ट्र का शीतकालीन सत्र हर साल नागपुर में होता है। इस साल यह सत्र 5 दिसंबर से शुरू हो रहा है। सरकार की ओर से बताया जा रहा है कि नागपुर सत्र दो सप्ताह का होगा। चूंकि, मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के ज्यादातर मंत्री विदर्भ से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए विदर्भ के लोगों को उम्मीद है कि नागपुर का शीतकालीन सत्र कम से कम तीन या चार सप्ताह चलेगा। नागपुर में जाने से पहले कर्मचारियों को अपने घर खर्च का इंतजाम करना होगा और नागपुर में भी पैसे की आवश्यकता होगी।
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने वेतन और नागपुर सत्र का खर्च नकद में नहीं दिया तो उनके सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी। बैंक में कतार भी लगाए तो दो हजार रुपये ही मिलेंगे। अब कितनी बार बैंक या फिर एटीएम में लाइन लगाए। ऐसे में सरकार ने नकद मुहैया करा दिया तो उनकी बड़ी दिक्कत खत्म हो जाएगी। सुभाष गांगुर्डे के मुताबिक वेतन तो सीधे कर्मचारियों के बैंक खाते में जमा होता है। बगैर नकदी किसी भी कर्मचारी आ अधिकारी का नहीं चलने वाला। नागपुर में खर्च करने के लिए पैसा लगेगा। ऐसे में उन्हें ज्यादा से ज्यादा नकद पैसे की आवश्यकता होगी। राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने फेडरेशन के पदाधिकारियों ने रख दिया है। अब उन्हें सरकार के उत्तर का इंतजार है।