प्रदेश की राजधानी में करीब हजार वर्ष पुराना मनकामेश्वर मंदिर कल एक बार फिर बेमिसाल अवसर का गवाह बना। यहां की महंत देव्या गिरी कल रोजा इफ्तार की मेजबान बनीं तो गोमती नदी के तट पर मनकामेश्वर घाट पर दस्तरखान साज। लखनऊ में मनकामेश्वर घाट पर पहली बार रोजा इफ्तार का भव्य आयोजन किया गया तो गोमती नदी के तट पर कल आरती के स्थान पर नमाज अदा की गई।
नमोस्तुते मां गोमती से गुंजायमान रहने वाले मनकामेश्वर उपवन घाट का नजारा कल बदला हुआ था। तहजीब के शहर से एक बार फिर दुनिया को अमन का पैगाम दिया गया। आरती के स्थान पर इस घाट पर मुस्लिम समाज के लोग देश में अमन चैन की दुआएं मांग रहे थे। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी ने आपसी एकता और भाईचारे का पैगाम देकर गंगा-जमुनी तहजीब को एक फिर जीवंत किया। रही सही कसर शिया- सुन्नी समुदाय ने ङ्क्षहदू भाइयों के साथ मिलकर इफ्तार कर एकजुटता का संदेश दिया।
मनकामेश्वर उपवन घाट पर पहली बार हुए आयोजन में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बड़ी संख्या में रोजेदार जमा हुए। टीले वाली मस्जिद के इमाम मौलाना फजले मन्नान वायजी के साथ ही मौलाना सुफियान निजामी ने नमाज अदा कराई तो नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला की मौजूदगी में नवाबी काल की यादों को ताजा कर दिया। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एक साथ विश्व शांति और सभी के कल्याण के लिए एक साथ नमाज अदा कराई तो सभी ने इस पहल की सराहना भी की। इफ्तार में टीले वाली मस्जिद के मौलाना फजल-ए-मनन भी शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि महंत देव्या गिरी ने मुझे इफ्तार के लिए न्योता भेजा और ऐसे आयोजन का हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है। उनका यह कदम सराहनीय है। इससे शहर में सांप्रदायिक सौहार्द को बल मिलेगा।
महंत ने बांटी इफ्तारीमहंत देव्या गिरी ने रोजेदारों को स्वयं इफ्तारी बांटी। चोट की वजह से न चल पाने के बावजूद खुर्रमनगर के रियाजुल यहां आकर रोजा खोला। उनका कहना है कि ऐसे आयोजन हमारे समाज के अंदर फैल रही नफरत को दूर करने में कारगर साबित होते हैं।
मौलाना ने ओढ़ाया असासा
इफ्तार से पहले मुस्लिम धर्मगुरु ने जब असासा (कंधे पर डालने वाला चेकदार कपड़ा) महंत को भेंट किया और इस पहल की सराहना की। महंत ने भी धर्मगुरुओं को असासा भेंट किया।
प्रेम व भाईचारा का संदेश देते हैं सभी धर्म
महंत देव्या गिरी ने कहा कि सभी धर्म प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। कई बार मुस्लिम भी कन्या पूजन का आयोजन करते हैं और बड़ा मंगल स्टॉल भी लगाते हैं। महंत देव्या गिरी मंदिर की पहली महिला मुख्य पुजारी हैं। उन्होंने कहा कि पुजारियों, इमाम और महंतों को अपना काम करना चाहिए।
उन्हें भाईचारे और शांति का संदेश देना चाहिए। सुबह से शाम तक उपवास रखने वालों की सेवा करना एक पवित्र काम है। महंत देव्या गिरी ने कहा कि हमारे तीन रसोइयों ने सुबह से ही इफ्तार की तैयारी शुरू कर दी थी।
यह अपनी तरह की पहली इफ्तार थी। जिसमें 500 से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद थी। यह ऐतिहासिक था और यह शहर के सौहार्दपूर्ण परंपरा को बढ़ावा देने वाला था।